Jharkhand Politics Update: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधानसभा सदस्यता पर को लेकर अनिश्चितता के चलते राज्य में सियासी संकट गहराता जा रहा है. प्रदेश की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार को इस बात का डर सताने लगा है कि बीजेपी (BJP) उनके विधायकों को तोड़कर प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर सकती है. सीएम आवास में बैठक खत्म होने के बाद हेमंत सोरेन अपने विधायकों को तीन बसों में लेकर झारखंड के खूंटी जिले में स्थित एक रिसॉर्ट में पहुंच चुके हैं. 


बता दें कि हेमंत सोरेने की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाने की संभावना को देखते हुए विधायकों को बचाने के लिए रिसॉर्ट में शिफ्ट किया गया है. इससे पहले रांची के सीएम आवास पर एक अहम बैठक बुलाई गई थी. विधायक इस मीटिंग में शामिल होने के लिए अपना सामान साथ लेकर आए थे. बैठक खत्म होने के बाद सीएम हेमंत सोरेन सभी विधायकों को लेकर झारखंड के खूंटी जिले में स्थित रिसॉर्ट में पहुंचे. 


हेमंत सोरेन की कुर्सी पर मंडराया खतरा


बता दें कि हेमंत सोरेने के एक विधायक के तौर पर ‘‘अयोग्य’’ होने का खतरा पैदा हो गया है.  वहीं, उभरते परिदृश्य से निपटने के लिए रणनीतिक तैयारी के मद्देनजर सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की तीन बार बैठक बुलाई जा चुकी है. आज हुई बैठक में सत्तारूढ़ गठबंधन के सभी विधायक अपने-अपने सामान के साथ बैठक में शामिल हुए. राजभवन सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल रमेश बैस शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग को विधायक के रूप में सोरेन की अयोग्यता का आदेश भेज सकते हैं.


बता दें कि इससे पहले इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि प्रदेश की गठबंधन सरकार के विधायकों को छत्तीसगढ़ या पश्चिम बंगाल में ठहराया जा सकता है. दोनों राज्यों में गैर-भाजपा सरकारें हैं. तीन लग्जरी बसें विधायकों और सुरक्षाकर्मियों को सड़क मार्ग से पहुंचाने के लिए रांची भी पहुंचीं थी. उनकी सुरक्षा में भी कुछ वाहन भी लगाए गए थे.


पहले इन राज्यों में विधायकों को शिफ्ट करने की थी प्लानिंग 


बताया जा रहा है कि पहले विधायकों को प्रदेश के बाहर भेजने के लिए छत्तीसगढ़ में बरमूडा और रायपुर सहित तीन स्थानों और पश्चिम बंगाल में कुछ स्थानों की पहचान की गई थी. इस बात की अटकलें इसलिए लगाई जा रही थी क्योंकि इन राज्यों में गैर बीजेपी और यूपीए की मजबूत सरकार है. 


हेमंत सरकार को सता रहा ये डर


वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा सूत्रों का कहना है कि प्रदेश कि तेजी से बदलती राजनितिक घटनाक्रम को देखते हुए और सत्तारूढ़ गठबंधन में संख्याबल को बरकरार रखने के लिए विधायकों को ‘रिसॉर्ट भेजने की राजनीति’ समय की मांग है. झामुमो के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन में एक महत्वपूर्ण सहयोगी कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों ने कहा था कि पश्चिम बंगाल, बिहार या छत्तीसगढ़ जैसे ‘‘मित्र राज्य’’ में एक रिसॉर्ट में विधायकों को रखा जाएगा ताकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के ‘खरीद फरोख्त’ के प्रयासों से बचाया जा सके. 


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