रांची: झारखंड के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, बाबूलाल मरांडी की जेवीएम (झारखंड विकास मोर्चा) और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) से गठबंधन नहीं करना चाहती है. दरअसल कांग्रेस को लगता है कि अगर वह जेएमएम, जेवीएम और आरजेडी के साथ चुनाव लड़ेगी तो सीट बंटवारे में उसके हिस्से विधानसभा की कुल 81 सीटों में से महज 25 सीटें ही आएंगी. ऐसे में कांग्रेस के रणनीतिकारों का मानना है कि झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम और कांग्रेस के बीच समझौता होना चाहिए जिससे कि कांग्रेस लगभग 35- 40 सीटों पर विधानसभा चुनाव लड़ सके.


कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि जेएमएम के साथ चुनाव लड़ने पर पार्टी के खाते में 40 सीटें आएंगी. 40 सीटों पर चुनाव लड़ने से कांग्रेस के संगठन को फायदा होगा. दूसरी बात कि आरजेडी और जेवीएम का वोट कांग्रेस के उम्मीदवारों को नहीं पड़ता है. हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस, जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा), आरजेडी और जेवीएम ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. नतीजे कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित नहीं हुए. कांग्रेस महज एक लोकसभा सीट ही जीत पाई.



कांग्रेस की समस्या ये है कि अगर वो हेमंत सोरेन और बाबूलाल मरांडी को साथ रखती है तो दोनों ही अपने आप को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करना चाहते हैं. कांग्रेस के पास पूरे झारखंड में कोई ऐसा चेहरा नहीं जिसे वो मुख्यमंत्री घोषित कर सके.



ऐसे में कांग्रेस के सूत्र यह भी बता रहे हैं कि अगर सिर्फ हेमंत सोरेन और कांग्रेस का समझौता होता है तो हेमंत सोरेन खुद को मुख्यमंत्री के रूप में देख ही रहे हैं जो कि कांग्रेस को भी कम से कम सीटें देकर समेटना चाहेंगे. लेकिन कांग्रेस देर से ही सही हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने पर राजी हो सकती है क्योंकि जब लोकसभा चुनाव में समझौता हुआ था तो ज्यादा सीटें कांग्रेस ने ली थी. उस वक्त यही शर्त थी कि हेमंत सोरेन को विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाएगा.


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