Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी को लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा है. 2019 में भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद पार्टी ने काफी प्रयास कर बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) का विलय कराया था. माना जा रहा था कि ये पार्टी का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है. लेकिन बाबूलाल मरांडी के पुराने साथी इस प्रक्रिया में छिटक गए, लेकिन उन्होंने नए सिरे से शुरुआत की थी.
बाबूलाल मरांडी ने पूरे राज्य में यात्राएं की और पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की. भाजपा आलाकमान की तरफ से उन्हें फ्री हैंड दिया गया था. उनके लिए रघुवर दास जैसे कद्दावर नेता को राज्यपाल बनाकर राज्य की राजनीति से दूर किया गया. अर्जुन मुंडा समेत अन्य प्रमुख नेताओं का भी क्षेत्र सीमित कर दिया गया था.
बाबूलाल मरांडी पर उठ रहे हैं सवाल
झारखंड में पार्टी को लगातार दूसरी बार हार का सामना करना पड़ है. इसके बाद अब हार का ठीकरा बाबूलाल मरांडी के मत्थे फोड़ा जा रहा है. इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या बीजेपी आदिवासी वोटों का मोह छोड़कर नए सिरे से नया नेतृत्व तलाश करेगी. जानकारी के अनुसार, बाबूलाल मरांडी ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे की पेशकश की है.
पार्टी कर सकती है ये बड़ा प्रयोग
इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी को आदिवासी सुरक्षित 28 में से 27 विधानसभा सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. ऐसे में अब पार्टी सामान्य और ओबीसी राजनीति पर अधिकाधिक फोकस कर सकती है. इस वजह से अब पार्टी में फिर से कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है. रघुवर दास को सक्रिय करने से लेकर अन्य विकल्प तक सुझाए जा रहे हैं. इस लिस्ट में कई और बड़े नेता भी है. पार्टी में ये सुझाव दिया जा रहा है कि अब राज्य में एक नए नेतृत्व की जरूरत है ताकि कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया जा सके.
बीजेपी ने शुरू किया मंथन
पार्टी ने हार के कारणों पर मंथन करना शुरू का दिया है. पार्टी मंडल स्तर तक से फीडबैक ले रही है. भाजपा के प्रदेश कार्यालय में इस संदर्भ में 30 नवंबर को बैठक होगी. इस बैठक में संगठन प्रभारी डा. लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी हिस्सा लेंगे. 3 दिसंबर में इसके बाद दिल्ली में हार के कारणों की समीक्षा होगी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी को मूल कार्यकर्ताओं की भावना के अनुरूप खड़ा करने की तैयारी शीर्ष नेतृत्व करेगा. इस दौरान सभी जिला अध्यक्षों, मंडल अध्यक्षों और प्रभारियों से रिपोर्ट ली जाएगी.