रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम में अब स्थिति लगभग साफ हो गई है. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल गठबंधन को 46 सीटें मिलती दिख रही हैं. बीजेपी को यहां बड़ा झटका लगता हुआ दिख रहा है. पार्टी अभी यहां 25 सीटों पर आगे चल रही है. ऐसे में अब लगभग साफ हो गया है कि जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन राज्य में सरकार बनाएगी. यहां हम आपको बताने जा रहे हैं वो बड़े कारण जो बीजेपी के लिए इस चुनाव में नुकसानदायक साबित हुए हैं.
- 2014 में राज्य विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद बीजेपी ने यहां गैर आदिवासी रघुवर दास को मुख्यमंत्री बनाया. लेकिन जो चुनाव परिणाम आ रहे हैं उससे साफ है कि बीजेपी का यह कार्ड यहां नहीं चला.
- चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के कुछ नेताओं ने पाला बदला. सरकार में मंत्री रहे सरयू राय बीजेपी से अलग हो गए और वो रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़े. रिजल्ट में सरयू राय हजारों वोटों से रघुवर दास से आगे चल रहे हैं. ऐसे में पार्टी नेताओं को अपने पाले में नहीं रख पाना बीजेपी को भारी पड़ा.
- 2014 में बीजेपी ने आजसू से गठबंधन कर राज्य में सरकार का गठन किया था लेकिन इस बार दोनों में गठबंधन नहीं था. बीजेपी के इस प्रदर्शन के पीछे ये भी एक बड़ी वजह है.
- दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करना भी बीजेपी के लिए भारी पड़ा. इससे पार्टी को फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ा है. साथ ही इस चुनाव में बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस-जेएमएम और आरजेडी का गठबंधन था जिसका तोड़ बीजेपी नहीं निकाल पाई.
- बीजेपी स्थानीय मुद्दे को उतने अच्छे तरीके से एड्रेस नहीं कर पाई. स्थानीय मुद्दे पर बीजेपी के विकास के नारे ने जनता को आकर्षित नहीं किया. बीजेपी को अपने कार्यकर्ताओं की अनदेखी करनी भी भारी पड़ी है. पार्टी राज्य की जनता के मूड को भांप नहीं पाई.
बता दें कि झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं. यहां सरकार बनाने के लिए 41 सीटों की जरूरत है. पिछले विधानसभा चुनाव की बात करें तो यहां बीजेपी 37 सीटें जीतकर ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन (AJSU) के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. AJSU को 2014 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत दर्ज मिली थी. 2014 में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) को 19, कांग्रेस को 6 और अन्य को 6 सीटें मिली थी.
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