झारखंड में राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा 25 मई से 5 जून तक अलग अलग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सर्वेक्षण कराया गया. इस दौरान करीब एक लाख वॉलंटियर्स ने मिलकर 53 लाख घरों में जाकर सर्वेक्षण किया. सर्वे में पाया गया कि मौतों के आंकड़ों के साथ छेड़छाड़ किया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्वे के अनुसार पहले दो महीने (अप्रैल-मई) में 25,490 लोगों की मौत हुई. हालांकि, इन मौतों के कारणों कहीं कोई जिक्र नहीं था. 


इससे पहले राज्य के अधिकारियों ने दावा किया था कि इनमें से किसी की भी मौत कोरोना से नहीं हुई है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ 12 दिनों में 53 लाख घरों में सर्वेक्षण किया. इस दौरान आंगनबाड़ी सेविकाओं ने लोगों से कोरोना से मरनेवाले लोगों की संख्या के बारे में पूछताछ की. सर्वे के दौरान मृतकों के परिजनों से पुछताछ की गई और पुष्टि होने पर उसे आंकड़ों में दर्ज कर लिया गया. हालांकि, मौत के सही कारण के बारे में नहीं पूछा गया. इसके अलावा, यह भी नहीं पूछा गया कि मृतक में कोरोना वायरस के लक्षण थे या नहीं.


स्वाथ्य विभाग ने कराया कोरोना से मौतों का ऑडिट 


स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के पांच जिलों में कोरोना से मौतों का ऑडिट कराया है. इसके साथ ही सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में जाकर जांच करने के भी आदेश दिए हैं. कुछ अस्पतालों में जहां कोरोना से मरने वालों की संख्या ज्यादा है, वहां जाकर भी जांच करने के आदेश दिए गए हैं. राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा था कि अप्रैल-मई के दौरान कोविड -19 के कारण 3,864 लोगों की मौत हुई है. 


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