Jharkhand Politcial Crisis: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) की विधानसभा की सदस्यता (Assembly Membership) समाप्त होने के खतरे को लेकर झारखंड (Jharkhand) में जारी राजनीतिक संकट (Political Crisis) के बीच राज्यपाल रमेश बैंस (Governor Ramesh Bains) करीब एक सप्ताह लंबे दिल्ली दौरे से रांची लौटे. दिल्ली (Delhi) रवाना होने से एक दिन पहले एक सितंबर को बैंस ने सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को आश्वासन दिया था कि वे लाभ के पद के मामले में सोरेन की विधानसभा सदस्यता समाप्ति के अनुरोध वाली अर्जी पर भारत निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर सबकुछ स्पष्ट करेंगे.
राजभवन में आधिकारिक सूत्र ने बताया कि राज्यपाल रांची लौट आए हैं. अभी तक उन्होंने कोई आदेश जारी नहीं किया है. भारत निर्वाचन आयोग ने अपना फैसला 25 अगस्त को राज्यपाल को भेज दिया था, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है. हालांकि, निर्वाचन आयोग के फैसले की अभी तक औपचारिक घोषणा नहीं हुई है लेकिन अटकलें हैं कि आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के तौर पर अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है.
सरकार ने हासिल किया विश्वासमत
इससे पहले सोमवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) नीत गठबंधन सरकार ने विधानसभा में बेहद आसानी से विश्चासमत पा लिया. इससे विधायकों की खरीद-फरोख्त के कारण राज्य में सरकार गिरने या बदलने को लेकर छाए संदेह के बादल छंट गए हैं और सोरेन की स्थिति मजबूत हुई है. बता दें कि झारखंड की 81 सदस्यीय विधानसभा में 48 विधायकों और एक निर्दलीय ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में वोट डाला. हालांकि, मतदान के दौरान भाजपा नीत एनडीए के सदस्य सदन से बाहर चले गए थे.
सीएम सोरेन ने बीजेपी पर लगाया आरोप
विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान सोरेन ने कहा कि विश्वासमत की जरूरत इसलिए महसूस हुई क्योंकि झारखंड सहित गैर-बीजेपी शासित राज्यों में बीजेपी लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है. मुख्यमंत्री ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग द्वारा अपनी सिफारिश राज्यपाल को भेजे जाने की खबरें मीडिया में आने के बाद 25 अगस्त से ही राज्य में अस्थिरता की स्थिति है लेकिन राज्यपाल अभी भी चुप हैं. उन्होंने कहा कि सरकार के शिष्टमंडल ने उनसे चीजें स्पष्ट करने का अनुरोध किया. उन्होंने आश्वासन दिया कि दो-तीन दिनों में ऐसा करेंगे. उसके बाद वह चुपके से दिल्ली चले गए.
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