नई दिल्ली:  हरियाणा और झारखंड के नेता दबी आवाज़ मे बोल रहे हैं कि काश शरद पवार का जन्म उनके राज्य मे हुआ होता. दरअसल लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद महाराष्ट्र , हरियाणा और झारखंड मे विधानसभा चुनाव होना है लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के इस्तीफ़े बाद महाराष्ट्र के अलावा अन्य राज्यों में किसी प्रकार के बदलाव नहीं किए गए हैं.


एनसीपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक एक साथ चुनाव लड़ती है. ऐसे मे एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी को फ़ोन करके कहा कि भले ही आपने इस्तीफ़ा दे दिया हो लेकिन अगर विधानसभा चुनाव में साथ लड़ना है को आपको महाराष्ट्र कांग्रेस मे जल्द से जल्द बदलाव करना पड़ेगा. उन्होंने कहा है कि अगर ऐसा नही हुआ तो हम समझौते मे कांग्रेस के साथ नही चल पाएंगे.


इसका एक बडा कारण यह भी था कि लोकसभा चुनाव की हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. इसके साथ ही कांग्रेस के सीएलपी नेता ने बीजेपी का दामन थाम लिया था. शरद पवार का कहना है कि ऐसी स्थिति में अगर जल्दी ही महाराष्ट्र कांग्रेस मे कोई बदलाव नही होता तो पार्टी बिखर सकती है.


वहीं शरद पवार के फ़ोन से पहले सिर्फ़ छत्तीसगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति पर ही राहुल गाधी ने हस्ताक्षर किए थे, लेकिन जब महाराष्ट्र कांग्रेस मे बदलाव की बात आई तो दूसरी बार राहुल गांधी ने बाला साहब थोराट को महाराष्ट्र कांग्रेस का अध्यक्ष बना कर उनकी नियुक्ति पर हस्ताक्षर किए.


जैसी आवाज शरद पवार महाराष्ट्र में उठा रहे हैं कुछ इसी तरह की आवाज़ हरियाणा और झारखंड कांग्रेस मे उठ रही है लेकिन अभी तक कोई फ़ैसला नही लिया गया. हरियायाण मे लोकसभा की दस की दस सीटें कांग्रेस हारी है. इसके बाद से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा, प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर को हटाने की मांग कर रहे है लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष के अभाव मे अभी तक कोई फ़ैसला नही हो पाया है.


इसी तरह झारखंड कांग्रेस मे भी सुबोध कांत सहाय और अन्य सीनियर नेता राज्य के अध्यक्ष अजेय कुमार को हटाने की मांग कर रहे है लेकिन अभी तक कोई फ़ैसला नहीं हो पाया है. हरियाणा के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद और झारखंड के प्रभारी आरपीएन सिंह अभी तक पार्टी में बदलाव को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं कर पा रहे हैं. यही कारण है कि देनों प्रदेशों के नेता दबी आवाज़ मे बोल रहे है कि हमारे राज्यों मे भी शरद पवार होते तो अच्छा होता.


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