रांची: कहते हैं 'होनहार बिरवान के होत चीकने पात' वैसे ही हजारीबाग के चौपारण प्रखंड के दैहर गांव के रहने वाले अमितेश की पहचान इन दिनों पूरे क्षेत्र ही नहीं बल्कि झारखंड में भी हो गई है. चौपारण प्रखंड का दैहर गांव नक्सलियों का बसेरा माना जाता था और आए दिन यहां वारदातें हुआ करती थी. एक समय था की पुलिस के एनकाउंटर में यहां कई नक्सली मारे गए थे. इसी गांव के अमितेश ओएनजीसी में कार्यरत हैं और लॉकडाउन के दौरान वह अपने गांव दैहर आए थे.
इस दौरान गांव की स्थिति देखकर अमितेश ने अपने गांव की सूरत बदलने की ठान ली है और प्रथम प्रयास में अमितेश ने अपने गांव के लगभग 200 घरों को पीने के शुद्ध पानी पहुंचाने के ख्याल से पाइप लाइन से जुड़वाने का कार्य शुरू किया है. अमितेश के मुताबिक़ आने वाले समय में गांव में बिजली ,स्ट्रीट लाइट, ग्रीन हाउस और वाईफाई कनेक्टिविटी से जोड़ा जाएगा और इसके लिए अमितेश को कई संस्थाओं से सहयोग भी मिल रहा है.
ओएनजीसी फाउंडेशन ने फंडिंग की है
सर्वप्रथम ओएनजीसी फाउंडेशन ने अमितेश के आग्रह को स्वीकार करते हुए फंडिंग की है इसके अलावा ओला कैब और टाटा पावर फाउंडेशन से भी वित्तीय मदद ली जा रही है. अमितेश ने अपने गांव की कायाकल्प करने के लिए कई फेज में प्लानिंग की है. केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान 15 अगस्त 2020 को स्मार्ट विलेज के नाम से विकास कार्य की शुरुआत ऑनलाइन करेंगे.
गांव की सूरत बदलने के सपने से गांव वाले काफी खुश
आईआईटी मुंबई से एमटेक करने के बाद से अमितेश एक्सक्यूटिव ऑफिसर के पद पर ओएनजीसी में कार्यरत है. गांव की सूरत बदलने के सपने से अमितेश और गांव वाले काफी खुश हैं. आने वाले समय में अपने गांव में अस्पताल, स्कूल, सड़क, बिजली और अन्य सुविधाएं लाने की बात अमितेश कर रहे हैं.