नई दिल्ली: झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब सभी की निगाहें हेमंत सोरेन पर टिक गई हैं. गठबंधन में वह सीएम के प्रबल दावेदार के तौर पर पेश किए गए थे. उनके नाम पर चुनाव लड़ा गया. अब बाजी गठबंधन के हाथ में आ चुकी है. ऐसे में हेमंत सोरेन एक बार फिर सीएम की कुर्सी पर बैठेंगे क्योंकि उनका सीएम बनना लगभग तय है. हेमंत सोरेन बताते हैं कि इस चुनाव में उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों को उठाया था, जिस कारण लोग उनसे जुड़ते गए.
हेमंत सोरेन झारखंड की राजनीति के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले शिबू सोरेन के बड़े बेटे हैं. वे झारखंड के पांचवे मुख्यमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके पिता शिबू सोरेन को झारखंड राज्य का तीसरे मुख्यमंत्री होने का गौरव प्राप्त है. उनके पिता तीन बार झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वे मनमोहन सिंह की सरकार में कोयला मंत्री भी रह चुके हैं. हेमंत सोरेन आदिवासी समुदाय में काफी लोकप्रिय हैं, पिता की विरासत संभाल रहे हेमंत सोरेन की छवि राज्य में प्रतिभाशाली युवा की है. यही कारण है कि हेमंत का तिलिस्म इस बार के विधानसभा चुनाव में लोगों के सिर पर चढ़कर बोला. युवाओं के बीच वे खासे लोकप्रिय हैं. उन्हे हर वर्ग का समर्थन मिलने की बात कही जा रही है.
इस विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा का प्रदर्शन शानदार रहा है. कहा जा रहा है कि इस शानदार प्रदर्शन के पीछे हेमंत सोरेन की कड़ी मेहनत शामिल है. देखा जाए तो जिस तरह से वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में महागठबंधन बना था उसी समय झारखंड विधानसभा चुनाव की पटकथा तैयार हो गई थी. कहा जा रहा है कि पिता की विरासत को हेमंत ने बड़ी खूबसूरती से संभाला है. कांग्रेस और आरजेडी की दूसरी पीढ़ी के साथ जिस तरह से हेमंत ने सामंजस्य बनाया है उसी का नतीजा विधानसभा चुनाव का यह परिणाम है.
राज्यसभा सदस्य से की राजनीति की शुरूआत
हेमंत सोरेन ने अपनी राजनीति वहां से शुरू की है जहां पर अधिकतर नेताओं की राजनीति समाप्त मानी जाती है. हेमंत ने अपनी राजनीति की पारी राज्यसभा सदस्य के तौर पर शुरू की थी . उन्हें साल 2009 में राज्यसभा के सदस्य के लिए चुना गया था. हमेशा कूल रहने वाले हेमंत सोरेन अच्छे रणनीतिकार माने जाते हैं.
इंजीनियर बनना चाहते थे हेमंत
हेमंत सोरेन ने 12 वीं तक की पढ़ाई पटना से की है. वे इंजीनियर बनना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने बिरला इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के कोर्स में एडमिशन लिया, लेकिन पढ़ाई पूरी नहीं कर सके.