Jharkhand News: झारखंड पुलिस को माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी कामयाबी मिली है. झारखंड पुलिस ने शुक्रवार को भाकपा माओवादी पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किसान दा को सरायकेला से गिरफ्तार किया है. प्रशांत बोस पर झारखंड में एक करोड़ का इनाम घोषित था. 70 साल के हो चुके बोस एक प्रमुख माओवादी विचारक रह रहे हैं और माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (MCCI) के विलय के लिए एक हस्ताक्षरकर्ता थे, जो उत्तर भारत में सक्रिय था. माओइस्ट कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया और भाकपा माले, पीपुल्सवार जो दक्षिण भारत में सक्रिय था, ने सितंबर 2004 में आपस में विलय कर लिया था. इस विलय के बाद अति वामपंथी आंदोलन और मजबूत हुआ और देश के मध्य भागों से होते हुए  उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाला एक लाल गलियारा बन गया.


डीजीपी नीरज सिन्हा ने कहा कि कुछ लोगों को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया गया है, लेकिन उनकी पहचान की पुष्टि की जा रही है. पुलिस के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, बोस को उनकी पत्नी शीला मरांडी और दो अन्य लोगों के साथ उस वाहन के साथ रोक लिया गया, जिसमें वे यात्रा कर रहे थे और सरायकेला-खरसावां जिले के कांद्रा के पास उन्हें हिरासत में ले लिया गया.  सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तारी कांद्रा इलाके में एक चेक पोस्ट पर की गई, जबकि बोस और समूह कथित तौर पर एक स्कॉर्पियो वाहन में पारसनाथ हिल्स से लौट रहे थे. खुफिया ब्यूरो के कर्मियों के साथ जिला पुलिस भी ऑपरेशन में शामिल थी. जानकारी के मुताबिक, पुलिस फिलहाल रांची में बोस और उनकी पत्नी से पूछताछ कर रही है.


कई उपनामों से जाने वाले बोस को भाकपा (माओवादी) के वर्तमान पदानुक्रम में दूसरा व्यक्ति माना जाता था और संगठन के पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो का नेतृत्व करते थे. उनकी पत्नी, शीला मरांडी, जिन्हें आमतौर पर शीला दीदी के नाम से जाना जाता है, को हाल ही में संगठन में केंद्रीय समिति के सदस्य के रूप में पदोन्नत किया गया था. हालांकि, उनके ऊपर कोई  इनाम घोषित नहीं किया गया था, क्योंकि उन्हें गिरफ्तार किया गया था और वो हाल ही में जमानत पर बाहर आई थीं.


 कई दशकों से पुलिस कर रही थी तलाश


कहा जा सकता है कि बोस झारखंड के उन चार माओवादियों में से एक हैं जिन पर एक करोड़ रुपये का इनाम है. बोस के अलावा पीबीएम मिसिर बेसरा और केंद्रीय समिति के सदस्य (सीपीआई-माओवादी) असीम मंडल और अनल दा हैं. बोस झारखंड, ओडिशा, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहे हैं. बोस को विभिन्न राज्यों में लगभग 100 चरमपंथी-संबंधी हिंसक गतिविधियों में मुख्य आरोपी बताया जाता है. कई अन्य राज्यों ने भी उन पर इनाम की घोषणा किया है. पुलिस पिछले कई दशकों से बोस की तलाश कर रही थी. उनके अलग-अलग समय पर झुमरा, पारसनाथ, सारंडा जंगल और बुरहा पहाड़ में मौजूद रहने की सूचना मिली थी. पुलिस ने काफी कार्रवाई की, लेकिन वह पुलिस के जाल से बच निकलने में सफल हो जा रहे थे.


बोस पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले के जादवपुर के रहने वाले हैं. दिल का दौरा पड़ने के बाद वह विकलांग हो गए. पुलिस सूत्रों ने पुष्टि की कि वह स्वस्थ नहीं थे और शारीरिक रूप से अक्षम थे. पुलिस अधिकारियों में से एक ने कहा, "वह 2019 में तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने वाले एक अन्य माओवादी पोलित ब्यूरो सदस्य सुधाकर से वरिष्ठ थे." उन्होंने स्वीकार किया कि उनकी गिरफ्तारी प्रतिबंधित संगठन की विचारधारा और मनोबल के लिए एक झटका है. जानकारी के मुताबिक, बोस आखिरी बार 1970 के दशक के अंत में आपातकाल के दौरान जेल गए थे और 1978 में बाहर आए थे. इसके बाद वह अति-वामपंथी आंदोलन में शामिल रहे हैं.


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