Jharkhand Political Crisis: यूपीए के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) से मुलाकात की है. यूपीए (UPA) के नेताओं ने गर्वनर से कहा कि वह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को विधायक के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने के संबंध में चुनिंदा तरीके से तथ्यों को लीक किए जाने से स्तब्ध हैं. यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन भी दिया है. इसी बीच 5 सितंबर को झारखंड विधानसभा (Jharkhand Assembly) का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है. जिसमें विश्वास मत लाने पर विचार हो सकता है. 


प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल रमेश बैस को दिए ज्ञापन में कहा कि इस तरह की लीक से अव्यवस्था, भ्रम और अनिश्चितता पैदा होती है. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मामले में निर्वाचन आयोग के फैसले को लेकर बनी भ्रम की स्थिति को दूर करने का भी आग्रह किया. नेताओं ने कहा कि महामहिम जैसा कि आपको ज्ञात होगा, स्थानीय एवं राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा गुरुवार 25 अगस्त से महामहिम के कार्यालय के सूत्रों का हवाला देते हुए हेमंत सोरेन को विधायक के तौर पर अयोग्य ठहराए जाने को लेकर प्रसारित किया जा रहा है. 


राजभवन से झूठी अफवाह फैलने की कही बात


उन्होंने कहा कि इस तरह की खबरों को स्थानीय, राष्ट्रीय प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सनसनीखेज बनाया जा रहा है. जिससे बहुत सारी अनिश्चितता पैदा हो रही है और अफवाहों को बढ़ावा मिल रहा है. इन सभी समाचारों का महामहिम के कार्यालय से लीक होने की सूचना दी जा रही है और यह वास्तव में दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि राज्यपाल का कार्यालय एक संवैधानिक कार्यालय है और जनता की नजरों में इसके प्रति अत्यंत सम्मान रहता है. महामहिम के कार्यालय से झूठी खबरों का निकलना भी सच माना जाता है. ऐसे में महामहिम के कार्यालय से झूठी अफवाह का प्रसारित होना राज्य में अराजकता और भ्रम की स्थिति पैदा कर राज्य के प्रशासन और शासन को प्रभावित कर रहा है. 


महागठबंधन के पास है प्रचंड बहुमत


नेताओं ने कहा कि यह मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के लिए राजनीतिक द्वेष को भी प्रोत्साहित करता है. इसलिए राज्यपाल द्वारा चुनाव आयोग से प्राप्त गोपनीय राय को अभी सार्वजनिक किया जाना है. राज्य की सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी, बीजेपी द्वारा मध्यावधि चुनाव, मुख्यमंत्री के इस्तीफे, आदि की मांग सार्वजनिक रूप से की जा रही है, जो कि अवांछित है. महामहिम जैसा कि आप जानते हैं, मुख्यमंत्री की अयोग्यता अगर सामने भी आती है तो सरकार पर कोई इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा. क्योंकि झामुमो, कांग्रेस, आरजेडी, निर्दलीय गठबंधन को अभी भी राज्य विधानसभा में प्रचंड बहुमत प्राप्त है. 


चुनाव आयोग से प्राप्त राय सार्वजानिक की जाए


यूपीए के नेताओं ने कहा कि हम महामहिम से इस तरह से प्रसारित किये जा रहे समाचारों की सत्यता उजागर करने का आग्रह करते हैं. जिससे राज्य में फैली भ्रम की स्थिति और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने के असंवैधानिक प्रयास पर विराम लगे. महामहिम से हम चुनाव आयोग से प्राप्त राय (यदि कोई हो) सार्वजनिक करने का अनुरोध करते हैं. महामहिम की ओर से त्वरित कार्रवाई लोकतंत्र के उद्देश्य को पूर्ण करेगी. चुनाव आयोग से प्राप्त राय को सार्वजानिक करने में हो रहा विलम्ब महामहिम के प्रतिष्ठित कार्यालय के संवैधानिक कर्तव्यों और मूल्यों के विपरीत होगा. 


25 अगस्त को राज्यपाल के पास भेजी थी सिफारिश


बता दें कि, लाभ के पद के मामले में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को विधानसभा से अयोग्य ठहराने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) की याचिका के बाद निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को अपना निर्णय राज्यपाल को भेज दिया था. निर्वाचन आयोग के फैसले को अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन चर्चा है कि आयोग ने मुख्यमंत्री को विधायक के रूप में अयोग्य घोषित करने की सिफारिश की है. राजभवन ने इस मामले पर अब तक कुछ भी घोषणा नहीं की है. 


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