झारखंड में रविवार को हुए रोप-वे हादसे के बाद बचाव अभियान में 46 लोगों को बचा लिया गया है. लगभग 46 घंटे तक चले इस बचाव अभियान में भारतीय वायु सेना, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन अधिकारी शामिल रहे. लेकिन रेस्क्यू टीम के पहुंचने से पहले घटनास्थल पर मौजूद पन्नालाल ने कई लोगों को बचा लिया. जानते हैं ये पन्नालाल कौन हैं और उन्होंने कैसे लोगों को बचाया.
पन्नालाल ने दिखाया गजब का साहस
पन्नालाल साल 2009 से बतौर रोपवे अधिकारी इस रोपवे साइट पर काम करते हैं. पन्नालाल ने बताया, “उस दिन जब यह हादसा हुआ तो हम सोचने लगे की कुछ आदमियों को हम मटेरियल रोपवे से उतार लेंगे लेकिन मटेरियल रोपवे चालू नहीं हुआ इसके बाद दिमाग में आया कि सबसे पहले पैसेंजर को नीचे उतारा जाए. कुछ ग्रामीण और मेरे स्टाफ ने मिलकर काम करना शुरू किया. मेरे ऊपर चढ़ने के बाद पांच-छ: केबिन से लोगों को शाम 6 बजे तक उतार दिया था.
पन्ना लाल की हिम्मत देख मौके पर पहुंचे सेना के जवानों में भी जोश आ गया. पन्ना लाला ने बताया कि मटेरियल रोपवे जब चालू हुआ तो देखा कि सेना के जवान कुछ नहीं कर रहे हैं. तो फिर हमने हिम्मत की और 18 नंबर केबिन तक चढ़ गए हमें देखकर मिलट्री जवान भी केबिन पर चढ़े.”
पन्ना लाल की इस काम में पप्पू सिंह ने भी मदद की. उन्होंने बताया, “जब हादसा हुआ तो वहां कोई नहीं था. हमने पन्ना लाल को देखा तो उन्होंने कहा कि किसी तरह से लोगों को बचाना है. फिर हमने काम शुरू किया. हम गाइड हैं टूरिस्ट को घूमना हमारा काम इसलिए हमें थोड़ा अंदाजा था कि कैसे काम करना है.”
पन्ना लाल ने 21 लोगों को बचाया
पन्ना लाल ने अपनी समझ और बहादुरी से 21 लोगों को सुरक्षित बचाया. इसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ जिसमें 46 और लोगों को बचाया गया. राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए देवघर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पन्नालाल के साहस और विकट परिस्थिति में दिखाई दिलेरी की जमकर प्रशंशा की. देवघर के उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने कार्यक्रम के दौरान पन्नालाल को 1 लाख रुपये का चेक सौंपा. इस मौके पर सभागार में देवघर के पुलिस कप्तान भी मौजूद थे.
मुख्यमंत्री ने कहा कि, वह इस बारे में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर पन्नालाल के अदम्य साहस के बारे में बतलाएंगे और उन्हें सम्मानित करने का अनुरोध केंद्र से करेंगे.
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