(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
RTI से जानकारी लेने के लिए खर्च कर दिए डेढ़ लाख रुपये, करीब 75 हजार पन्नों को बोरों में भरकर डाक से भेजने की मांग
Jharkhand RTI Activist: सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई से जानकारी लेने के लिए 1.49 लाख रुपये का भुगतान किया, जिसके बाद अब उसकी मांग है कि सभी दस्तावेज पांच बोरों में भरकर उसे पोस्ट कर दिए जाएं.
Jharkhand RTI Activist: झारखंड से एक दिलचस्प मामला सामने आया है. यहां के रामगढ़ जिले के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने आरटीआई से जानकारी लेने के लिए 1.49 लाख रुपये खर्च कर दिए. 32 साल के कार्यकर्ता ने 74,500 पन्नों के दस्तावेज की फोटोकॉपी के शुल्क के तौर पर 1.49 लाख रुपये का भुगतान किया है और मांग की है कि पांच बोरों में रखकर ये सभी कागज उसे सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत कोरियर या डाक से भेजे जाएं. हालांकि, सरकार ने उससे गोला प्रखंड दफ्तर से ये बोरे प्राप्त करने को कहा है, जिससे इनकार करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता ने मांग की है कि या तो दस्तावेज उसे डाक से भेजे जाएं या उसकी पूरी राशि लौटा दी जाए.
बजट को लेकर मांगी थी जानकारी
इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि गोला प्रखंड के रायपुरा गांव के रहने वाले बीनू कुमार महतो ने छह मई को लोक सूचना अधिकारी-सह-बीडीओ को आरटीआई अर्जी भेजकर इस बारे में विस्तृत जानकारी मांगी थी कि गोला प्रखंड में 2020 से 2023 तक 14वें और 15वें वित्त आयोग के तहत दी गई राशि कैसे खर्च की गई.
74 हजार से ज्यादा पन्नों की जानकारी
गोला के बीडीओ संतोष कुमार ने कहा कि महतो को पहले जानकारी के लिए अलग-अलग पंचायत सचिवालयों में जाने को कहा गया था और जब उन्होंने इससे मना कर दिया तो प्रखंड कार्यालय ने सूचना इकट्ठा करके पांच बोरों में 74,500 कागजों में इसे जमा किया. उन्होंने कहा कि महतो को प्रखंड कार्यालय से ये गोपनीय कागज प्राप्त करने को कहा गया, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया. हालांकि, महतो ने कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के प्रावधानों के तहत लोक सूचना अधिकारी को जानकारी डाक से भेजनी चाहिए. रामगढ़ के उप विकास आयुक्त रोबिन टोपो ने कहा कि वह मामले को देखेंगे.
फिलहाल अनोखे तरीके से आरटीआई के जरिए जानकारी पाने के इस मामले की खूब चर्चा हो रही है. लाखों रुपये खर्च कर हजारों पन्नों की जानकारी का ये मामला काफी दिलचस्प है. फिलहाल मामला अटका हुआ है और सामाजिक कार्यकर्ता ने अपने पैसे वापस मांगे हैं, ऐसे में विभाग डाक के जरिए उन्हें ये सूचना वाले दस्तावेज पहुंचा सकता है.
(इनपुट - भाषा)
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