श्रीनगर: इन दिनों जम्मू से 25 किलोमीटर की दूरी पर झिडी गांव में उत्तर भारत का सबसे बड़ा मेला लगा हुआ है. जिसमें हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. 7 दिन तक चलने वाले इस मेले को झिडी मेला कहा जाता है. मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां स्थित बाबा जित्तो और बुआ दात्ती का आशीर्वाद प्राप्त करने आ रहे हैं.


जम्मू शहर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर सीमावर्ती कानाचक में झिडी गांव है. जहां इस समय झिडी मेला लगा हुआ है. आपको बता दें कि यह मेला वैष्णो माता के परम भक्त रह चुके बाबा जित्तो और उनकी पुत्री बुआ दात्ती की याद में मनाया जाता है.


ये है बाबा जित्तो और बुआ दात्ती की कहानी-


माना जाता है कि बाबा जित्तो कटड़ा के पास अघार जित्तो गांव में रहते थे. साथ ही वह मां वैष्णो के परम भक्त थे. जमीन के लालच में उनकी चाची जोजां ने उन्हें उनकी ही जमीन से बेदखल कर दिया. जिसके बाद वह अपनी बेटी बुआ दात्ती के साथ झिडी गांव में चले गए. गांव में एक जमींदार ने उन्हें अपनी बंजर जमीन पर खेतीबाड़ी करने को कहा. इसके अलावा जमींदार ने कहा कि अगर बंजर जमीन पर फसल हो गयी तो उसका एक तिहाई हिस्सा उन्हे दिया जाएगा.



बाबा जित्तो ने मेहनत कर बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया. मगर बेहतर फसल हो जने पर जमींदार ने उन्हें कुछ भी देने से मना कर दिया. इसी बात को लेकर बाबा जित्तो और उनकी बेटी ने फसल पर ही आत्महत्या कर ली. बस तभी से बाबा जित्तो की याद में यह झिडी मेला मनाया जाता है. आपको बता दें कि बाबा जित्तो का मंदिर 600 साल पुराना है.


मेले में ज्यादातर श्रद्धालु उत्तर भारत से आते हैं. पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और दिल्ली से बहुत से ऐसे लोग हैं जो बाबा जित्तो को कुल देवता के रूप में पूजते हैं. ऐसा भी मानना है बाबा जित्तो और बुआ दात्ती के मंदिर में जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है. मन्नत पूरी होने पर श्रद्धालु झंडा चढ़ाते हैं.