Shaheed Rajendra Kumar Bhambu: राजस्थान के झुंझुनूं का बेटा सूबेदार राजेंद्र कुमार भांबू बुधवार को जम्मू के राजौरी में 2 आतंकियों के आत्मघाती हमले में लड़ते-लड़ते शहीद हो गया. शहीद राजेंद्र कुमार का पार्थिव शरीर रविवार सुबह झुंझुनू के माली गांव स्थित उनके पैतृक आवास पर लाया जाएगा, उनका अंतिम संस्कार दोपहर को किया जाएगा. गांव में शहीद के अंतिम संस्कार की तैयारियां चल रही हैं.


शहीद राजेंद्र कुमार के सम्मान में कल गांव में तिरंगा रैली निकाली जाएगी. शहीद राजेंद्र कुमार की शहादत की खबर शनिवार सुबह उनकी पत्नी और बेटियों को दी गई. जबकि शहीद राजेंद्र कुमार की शहादत की खबर गुरुवार को ही आ गई थी, लेकिन पत्नी और बच्चों को नहीं बताया गया था. घर में सिर्फ उनके भाई राजेश कुमार को यह सूचना दी गई थी. 


मुझे पिता समान भाई पर गर्व है- शहीद के भाई 
शहीद राजेंद्र कुमार के भाई राजेश कुमार ने बताया, "भाभी की शुक्रवार रात 8 बजे भाई से बात हुई थी, सब कुछ ठीक था. अचानक से रात में हमला हुआ और भाई की जान चली गई. चार गोली उनके शरीर पर लगी थी, लेकिन तब भी वह आतंकियों से लड़ते रहे और उनको मार गिराया, 5वीं गोली उनके गर्दन पर लग गई जिससे उनकी जान चली गई. मुझे पिता समान अपना भाई के जाने का दुख तो है, लेकिन उससे ज्यादा गर्व भी है कि मेरे भाई ने अपने देश की रक्षा करते हुए अपनी जान गवाई है."


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शहीद राजेंद्र कुमार के पिता
बता दें कि शहीद राजेंद्र कुमार देश के जाबांज सैनिक थे, उन्होंने करगिल युद्ध में भी देश के लिए लड़ाई लड़ी थी. वहीं उनके पिता बदरू राम भी सेना से हवलदार के पद से रिटायर हुए हैं. पिता बदरू राम ने भी भारत पाक युद्ध में पाकिस्तान से लोहा लिया था. उनके पिता रि. हवलदार बदरू राम ने बताया, "मैंने भी सेना में सेवाएं दी हैं. मुझे गर्व है कि मेरा बेटा देश की रक्षा करते शहीद हुआ है. 16 जुलाई को ही वो यहां से छुट्टी बिताकर वापस ड्यूटी ज्वाइन करने गया था."


शहीद राजेंद्र एक जज्बा छोड़ के जा रहे हैं
शहीद राजेंद्र कुमार के गांव में दुख तो पसरा तो है लेकिन साथ ही उनपर गर्व भी है कि उनका बेटा तिरंगे में लिपटकर उनके गांव वापस आएगा. झुंझुनूं के मालीगांव के हर घर का कोई न कोई बच्चा सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है या दे चुका है. शहीद राजेंद्र कुमार भांबू इस गांव के तीसरे शहीद हैं. कल से ही शहीद के घर पर मिलने वालों का तांता लगा हुआ है. मिलने वालों में ज्यादातर गांव के रिटायर्ड फौजी हैं. एबीपी न्यूज ने उनसे बात की. मालीगांव के ही सेना से रिटायर्ड ब्रिगेडियर का कहना है कि हमें गर्व है कि हमारे गांव के लड़के को तिरंगे में लिपटने का मौका मिलेगा. राजेंद्र ने देश की रक्षा करने की कसम खाई थी और वो कसम निभा गया. शहीद राजेंद्र एक जज्बा छोड़ के जा रहे हैं. उनके पदचिन्हों पर चलते हुए इनके बाद गांव के बच्चे और बढ़ चढ़ कर सेना में जाएंगे.


गांव के हर घर में एक फौजी 
गांव के ही रिटायर्ड फौजी ने शहीद राजेंद्र को याद करते हुए कहा कि हमें  राजेंद्र के आने का बेसब्री से इंतजार है. लेकिन दुख इस बात का है कि वह हमारे बीच में नहीं रहा, लेकिन खुशी इस बात की है कि हमारा साथी देश के लिए शहीद हुआ है. ऐसे ही हमारे गांव के कई लड़के सेना में जाएंगे, हमारे गांव में हर घर में एक फौजी है. कई लड़के और सेना में जाने के लिए इच्छुक हैं.


हम बदला लेंगे छोड़ेंगे नहीं
पाकिस्तान से आए दिन हो रही नापाक हरकतों का जिक्र करते हुए गांव के बुजुर्ग और रिटायर्ड फौजी ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि पाकिस्तान का मंसूबा कभी भी कामयाब नहीं होगा जो आएंगे उसको मार गिराएंगे. अभी भी आए तो मार गिराया. कुछ नुकसान हुआ हमारा. भाई हमसे छिन गया, लेकिन देश के लिए लड़ कर गया है. बहुत गर्व है हमें उस पर, हम इसका भी बदला लेंगे छोड़ेंगे नहीं.


1995 में सेना में भर्ती हुए थे
शहीद राजेंद्र फरवरी 1995 में सेना में भर्ती हुए थे. करीब पांच साल पहले ही सूबेदार बने थे. राजेंद्र कुमार भांबू 11 राजरीफ में राजौरी में तैनात थे. अभी पिछले महीने ही 16 जुलाई को गांव में एक महीने की छुट्टी बिताकर ड्यूटी ज्वाइन की थी. शहीद राजेंद्र की 2 बेटियां 24 वर्षीय प्रिया 24 और 20 वर्षीय साक्षी हैं, जो जयपुर में ग्रेजुएशन करते हुए यूपीएससी की तैयारी कर रहीं हैं. वहीं आठ साल का बेटा अंशुल तीसरी कक्षा में पढ़ रहा है.


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