2019 में बीजेपी को टक्कर दे पाएंगे सत्ता विरोधी लहर पर सवार ये 6 चर्चित चेहरे
क्या ये युवा नेता भविष्य की राजनीति के चेहरे हैं? क्या 2019 में ये चर्चित चेहरे कोई चमत्कार कर पाएंगे? चलिए जानने की कोशिश करते हैं इस लेख में.
नई दिल्ली: पिछले काफी वक्त से कुछ चेहरे लगातार सुर्खियों में हैं. ये वे लोग हैं जिन्होंने वर्तमान केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद की है. यही कारण है कि मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में ये लोग छाए हुए हैं. विपक्षी पार्टियों का भी समर्थन भी इन लोगों को मिल रहा है. क्या ये युवा नेता भविष्य की राजनीति के चेहरे हैं? क्या 2019 में ये चर्चित चेहरे कोई चमत्कार कर पाएंगे?
अल्पेश ठाकोर- गुजरात चुनाव में अल्पेश की काफी चर्चा हुई. अल्पेश को गुजरात में ओबीसी वर्ग का नेता माना जाता है. उन्होंने इस चुनाव में जीत हासिल की और साथ में राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा भी पाई. हालांकि उन पर जाति की राजनीति करने का आरोप भी लगा. वे उस वक्त भी चर्चा में आए जब उन्होंने पीएम मोदी पर गोरा करने वाले मशरूम खाने का आरोप लगा दिया. उन्होंने 2011 में गुजरात क्षत्रिय ठाकोर सेना और 2015 में ओबीसी एससी-एसटी एकता मंच नाम के दो संगठन खड़े किए. 2011 से पहले वो कांग्रेस में सक्रिय थे. लेकिन 2011 में दलगत राजनीति से अलग होकर खुद का संगठन बनाया और अब उनकी पहुंच सीधे राहुल गांधी तक है. उनके पिता और दादा भी राजनीति में रहे हैं.
जिग्नेश मेवानी- पिछले दिनों ऊना में दलितों पर अत्याचार के खिलाफ जिग्नेश ने बड़ा आंदोलन खड़ा किया और चर्चा में आए. उन्होंने बनासकांठा के वडगाम सीट से साढ़े उन्नीस हजार के अंतर से जीत दर्ज की. जिग्नेश ने निर्दलीय चुनाव लड़ा हालांकि उन्हें कांग्रेस का समर्थन मिला. जिग्नेश एक वकील हैं. उन्होंने पत्रकारिता का कोर्स किया हुआ है. जिग्नेश के बारे में एक दिलचस्प बात ये है कि वो बारहवीं में दो बार फेल हो चुके हैं. विज्ञान में फेल होने के कारण उन्होंने आर्ट्स विषय से बारहवीं की. लेकिन आज की तारीख में उन्होंने ऐसे-ऐसे सियासी दांव चले हैं कि अब उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर दलित चेहरे के रूप में देखा जाने लगा है.
हार्दिक पटेल- गुजरात चुनाव में जिस शख्स ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी वे हैं हार्दिक पटेल. हार्दिक, पटेल समुदाय से आते हैं और उन्होंने चुनावों में काफी हद तक बीजेपी के बड़े नेताओं के माथे में शिकन ला दीं. हार्दिक की 5 सीडी सामने आईं और सीसीटीवी फुटेज भी वायरल हुई लेकिन उनका जलवा बरकरार रहा. उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा लेकिन वे बीजेपी को चिंतित करने में कामयाब रहे. चुनावों के बाद हार्दिक ने ईवीएम हैकिंग की भी बात उठाई. जिस आक्रमकता के साथ हार्दिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा उसकी वजह से बीजेपी विरोधियों ने उन्हें हाथों हाथ लिया. साथ ही अपनी बात रखने की उनकी शैली ने भी उन्हें फायदा पहुंचाया.
चंद्रशेखर रावण- भीम आर्मी के संस्थापक और पेशे से वकील चंद्रशेखर ने अपने नाम के पीछे 'रावण' लगा रखा है. वे दलित आंदोलन का नया चेहरा बन कर उभरे हैं. सहारनपुर हिंसा के बाद यूपी में चंद्रशेखर को काफी चर्चाएं मिलीं. फिलहाल वे जेल में हैं और उनकी तबीयत भी खराब बताई जा रही है. चंद्रशेखर की भीम आर्मी काफी चर्चा में है और उनमें वैसा ही जोश और ऊर्जा दिखती है जैसी 80 के दशक में बसपा नेताओं में दिखती थी. सहारनपुर कांड के बाद सोशल मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया तक में उनकी चर्चा हुई और वो एक जाना पहचाना चेहरा बन गए.
कन्हैया कुमार- जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार भी अब किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं. सरकार विरोधी आंदोलन से लेकर लिटरेचर फेस्टिवल तक में वे शरीक होते हैं. देश विरोधी नारों के आरोप में वे जेल भी गए लेकिन बाहर निकल कर उन्होंने जिस अंदाज में केंद्र सरकार पर निशाना साधा उसके बाद से वे और अधिक प्रसिद्ध हो गए. अब तो कन्हैया और अधिक मुखर रूप से सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलते हैं. आरएसएस और बीजेपी पर वे जिस अंदाज में निशाना साधते हैं उसे उनके चाहने वाले काफी पसंद करते हैं. कन्हैया के साथ दो-चार बार हाथापाई की भी कोशिशें हुईं जिसके बाद से वे मीडिया और सोशल मीडिया में और भी अधिक चर्चित हो गए.
उमर खालिद- जेएनयू के छात्रनेता उमर खालिद तब चर्चा में आए थे जब वहां देशविरोधी नारेबाजी हुई. उन पर भी इसमें शामिल होने का आरोप लगा. उन्होंने आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सोशल मीडिया पर उसकी तारीफ की. हालांकि विवाद बढ़ने पर पोस्ट हटा ली. इस तरह के तमाम विवादों की वजह से उमर खालिद को देश भर की मीडिया और सोशल मीडिया में चर्चा मिली. कश्मीर, हिन्दुत्व, बीफ आदि मुद्दों के कारण वह लगातार प्रसिद्धि बटोरते रहे. उन पर महिषासुर दिवस जैसे आयोजनों में भी शामिल होने का आरोप लगता रहा है. इन दिनों वह सरकार विरोधी कार्यक्रमों में अक्सर दिखाई देते हैं.
2019 में पलटेंगे सत्ता?
इन सभी 6 चेहरों के बारे में एक बात कॉमन है और वो ये कि यह सभी सत्ता विरोधी आंदोलन से जुड़े हैं. अल्पेश और जिग्नेश को छोड़ कर फिलहाल किसी ने कहीं से कोई चुनाव नहीं लड़ा है. लेकिन देखना ये होगा कि 2019 में बाकी चार युवा नेता क्या लोकसभा चुनाव लड़ेंगे? देखना ये भी होगा कि 2019 में ये चर्चित चेहरे क्या चमत्कार दिखाएंगे और किस तरह बीजेपी को टक्कर देंगे?