Gujrat MLA Jignesh Mevani Released: गुजरात के दलित नेता और विधायक जिग्नेश मेवानी (Jignesh Mevani) की जमानत को अब असम सरकार (Assam Government) गुवाहटी हाईकोर्ट में चैलेंज करने जा रही है. इस संबंध में जिग्नेश के खिलाफ दर्ज केस की जांच कर रहे जांच अधिकारी अलग से एक याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं. समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए असम के महाधिवक्ता देवजीत लोन सैकिया ने ये जानकारी दी है. 


क्या है मामला ? 


आपको बता दें कि कांग्रेस समर्थित निर्दलीय विधायक मेवानी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ट्वीट करने के लिए पहली बार 19 अप्रैल को गुजरात के पालनपुर शहर से गिरफ्तार किया गया था और कोकराझार लाया गया था. इस मामले में उन्हें 25 अप्रैल को जमानत मिली थी. हालांकि जमानत मिलने के ठीक बाद उन्हें महिला पुलिस अधिकारी से मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद जिग्नेश ने फिर से जमानत अर्जी लगाई.






जिग्नेश मेवानी पर आरोप है कि जब मेवानी वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गुवाहाटी हवाईअड्डे से कोकराझार जा रहे थे, तो उन्होंने महिला अधिकारी से मारपीट की. मेवानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 294, 323, 353 और 354 के तहत मामला दर्ज किया गया था. हालांकि बाद में उनको जमानत दे दी गई. 


मेवानी ने कहा कि एफआईआर कानून के शासन की घोर अवहेलना करते हुए दर्ज की गई थी. यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान का अपमान है. अगर किसी अन्य राज्य के विधायक को असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है, तो पूर्वोत्तर राज्य में किसी भी असंतुष्ट को भी आसानी से कुचला जा सकता है.


अदालत ने क्यों लगाई थी असम पुलिस को फटकार ? 


बारपेटा जिला न्यायाधीश ने शुक्रवार को मेवानी को जमानत दे दी थी और कथित हमले के मामले में ‘‘झूठी प्राथमिकी’’ दर्ज करने के लिए असम पुलिस की खिंचाई की थी. इसके बाद मेवानी जमानत की औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए आज सुबह कोकराझार आए थे. दलित नेता ने कहा कि न्यायपालिका के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है, जिसने कहा कि ‘‘मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का कोई कारण नहीं था और यह अदालत में स्वीकार करने योग्य नहीं है.’’


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