उन्होंने शनिवार को कहा कि मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान बनाने वाले नहीं थे. उन्होंने कहा, 'कमिशन आया, उसमें फैसला किया गया कि हिंदुस्तान का बंटवारा नहीं करेंगे. हम मुसलमानों के लिए विशेष प्रतिनिधित्व रखेंगे. सिखों व अन्य अल्पसंख्यकों को विशेष प्रतिनिधित्व देंगे मगर मुल्क का बंटवारा नहीं करेंगे.'
अब्दुल्ला ने कहा कि जिन्ना ने इसे मान लिया लेकिन जवाहरलाल नेहरू, मौलाना आजाद और सरदार पटेल ने इसे नहीं स्वीकार किया. उन्होंने कहा, 'जब ये नहीं हुआ तो जिन्ना फिर से अलग देश पाकिस्तान बनाने की मांग करने लगे.' फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर उस समय मांगें मान ली गई होतीं तो ऐसा मुल्क कहीं नहीं होता.
अब्दुल्ला ने कहा कि अगर नेहरू, पटेल और मौलाना आज़ाद जैसे बड़े नेता इस प्रस्ताव को मान लेते तो आज कोई बांग्लादेश, पाकिस्तान नहीं होता. बल्कि एक हिन्दुस्तान होता.