मुंबई: पिछले साल महाराष्ट्र में जो सियासी ड्रामा हुआ था उस पर पूरे देश की नजर थी. 24 अक्टूबर को विधानसभा नतीजे के आने के बाद 35 दिनों तक राज्य की सियासत में जो कुछ भी हुआ उसने सभी को चौंकाया. कैमरे पर जो हुआ उसे तो पूरे देश ने देखा लेकिन कैमरे के पीछे की कहानी का खुलासा किया है एबीपी न्यूज के पश्चिम भारत संपादक जीतेंद्र दीक्षित ने अपनी किताब '35 Days : How Politics In Maharashtra Changed Forever In 2019' में.
महाराष्ट्र के सियासी ड्रामे ने राज्य की राजनीति को बदलकर कर रख दिया. बीजेपी और शिवसेना के बीच दशकों पुराना गठबंधन टूट गया. शिवसेना और कांग्रेस जैसी कट्टर दुश्मन पार्टियों ने सत्ता में साथ आने के लिये हाथ मिला लिया. शिवसेना हिंदुत्व के मुद्दे पर नरम हो गई और सेकुलर शब्द को अपना लिया. राज ठाकरे मराठीवाद को लेकर नरम हुए और हिंदुत्वाद को अपना लिया. चुनाव से पहले जिन अजीत पवार को देवेंद्र फडणवीस जेल की चक्की पिसवाने की बात कर रहे थे, एक सुबह उन्हीं के साथ मिलकर सरकार बना ली. उस ड्रामे ने सभी राज नेताओं के चेहरों पर से मुखौटा हटाया.
जीतेंद्र दीक्षित की किताब उस रोमांचक ड्रामे की कहानी तो कहती ही है साथ-साथ उन घटनाक्रमों को भी उजागर करती है जो अब तक सामने नहीं आये. क्या शिवसेना और बीजेपी के बीच अलगाव का कारण सिर्फ ढाई साल के लिये मुख्यमंत्री पद था? क्या अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस को झूठ कहा था कि उन्होने बीजेपी के साथ सरकार बनाने के लिये शरद पवार से मंजूरी ले ली है? राहुल गांधी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे? मोदी-शाह ने बीजेपी-शिवसेना गठबंधन बचाने के लिये मध्यस्थता क्यों नहीं की? शिवसेना में ठाकरे परिवार के बाहर कौन सी नई शक्ति केंद्र बनकर उभरी है? इन जैसे सवालों के जवाब इस किताब में मिलते हैं.
किताब में कई नये तथ्य तो उजागर हुए ही हैं लेकिन इसके साथ साथ महाराष्ट्र की बड़ी राजनीतिक हस्तियों के व्यकित्तव के कई छुपे हुए पहलुओं का ब्यौरा भी दिया गया है. शरद पवार, उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे की जिंदगी के कई दिलचस्प किस्से इस किताब में पेश किये गये हैं. किताब का जल्द ही हिंदी और मराठी संस्करण प्रकाशित होगा. चूंकि फिलहाल प्रिंटिंग प्रेस बंद हैं इसलिये किताब का फिलहाल E-Book संस्करण प्रकाशित हुआ है और इसे किंडल एप पर पढ़ा जा सकता है.
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