Rohini Court Firing: जानिए कौन था जितेंद्र गोगी, कैसे शुरू हुई टिल्लू गैंग के साथ उसकी रंजिश?
Rohini Court Firing: अदालत में पेशी पर लाए गए जितेंद्र गोगी की मौके पर ही मौत हो गई. जितेंद्र की हत्या टिल्लू गैंग के सदस्यों ने की. टिल्लू गैंग के साथ जितेंद्र की पुरानी रंजिश रही है.
Rohini Court Firing: दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में गैंगस्टर जितेंद्र गोगी की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई. अदालत में पेशी पर लाए गए जितेंद्र गोगी की मौके पर ही मौत हो गई. जितेंद्र की हत्या टिल्लू गैंग के सदस्यों ने की. हालांकि टिल्लू गैंग के साथ जितेंद्र की पुरानी रंजिश रही है. इस रंजिश में कई लोगों की जान भी जा चुकी है.
जितेंद्र गोगी का जन्म साल 1991 में दिल्ली के गांव अलीपुर में हुआ था. उनके पिता मेहर सिंह एक निजी ठेकेदार थे. जितेंद्र शारदानन्द कॉलेज में पढ़ाई के दौरान कॉलेज के कुछ नेताओं के संपर्क में आया और कॉलेज के चुनाव में भाग लिया. चुनाव के दौरान उसने अपने प्रतिद्वंद्वी समूह के साथ लड़ाई की थी और अपने सहयोगियों रवि भारद्वाज उर्फ बंटी, अरुण उर्फ कमांडो, दीपक उर्फ मोनू, कुणाल मान और सुनील मान के साथ संदीप और रविंदर पर गोलियां चलाकर हमला किया था. इस मामले में एफआईआर भी हुई थी. उसका सहयोगी रवि भारद्वाज उर्फ बंटी गैंगस्टर रहा है, जिसकी गिरफ्तारी के लिए दिल्ली पुलिस के जरिए 1 लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था, जिसे स्पेशल सेल ने वर्ष 2014 में गिरफ्तार किया था.
अरुण उर्फ कमांडो भी श्रद्धानंद कॉलेज में पढ़ता था और छात्र संघ के चुनाव के दौरान अलीपुर के एक छात्र का समर्थन कर रहा था. उक्त प्रत्याशी गैंगस्टर जितेंद्र गोगी के गांव का ही रहने वाला था. दूसरी ओर, एक अन्य छात्र, एक अन्य गैंगस्टर का चचेरा भाई सुनील उर्फ टिल्लू निवासी ग्राम ताजपुर विपरीत पक्ष से एक उम्मीदवार था. सुनील उर्फ टिल्लू के गुट के सदस्यों ने किन्हीं कारणों से अरुण उर्फ कमांडो को पीट दिया. जितेंद्र गोगी गुट के प्रत्याशी ने उस चुनाव से नाम वापस ले लिया और सुनील उर्फ टिल्लू के समूह के प्रत्याशी ने वह चुनाव जीत लिया लेकिन उस घटना ने दोनों के बीच रंजिश को जन्म दे दिया और यहीं से दोनों के बीच दुश्मनी हो गई.
सोनू दरियापुर की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली के मोस्ट वांटेड व्यक्ति गोगी एक गुप्त नेटवर्क का संचालन कर रहा था. जिसमें बड़े पैमाने पर स्थानीय युवा शामिल थे. इनमें कुछ पदक विजेता खिलाड़ी भी शामिल हैं, जिनके सपने और वास्तविकता मेल नहीं खाते. गोगी के जानकार बताते हैं कि उसका मिशन टिल्लू का "पूर्ण विनाश" था. पिछले पांच सालों में दोनों पक्षों के कम से कम 12 लोगों की जान चली गई है. गोगी तब तक नहीं रुकेगा जब तक वह टिल्लू को नहीं मार देता. भले ही टिल्लू जेल में है, लेकिन वह उसकी हत्या करने की योजना बना रहा था.
गिरोह के बीच बढ़ी दुश्मनी
न्यायिक हिरासत के दौरान गोगी का एक सहयोगी सुनील मान सुनील उर्फ टिल्लू के करीब आया. जेल से छूटने के बाद गोगी और सुनील मान दबदबे के मुद्दे पर एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी बन गए. वहीं दूसरी ओर गोगी की दूर की बहन का अफेयर दीपक उर्फ राजू से वर्ष 2010-11 में था. दीपक उस लड़की के साथ डेट करता था और इस बात को खुलकर स्वीकार करता था. दीपक टिल्लू का सह-आरोपी रहा है. इसके बाद दीपक के उक्त आचरण के कारण आरोपी गोगी और उसके साथियों ने दीपक की हत्या को अंजाम दिया. उस मामले में चार आरोपी योगेश उर्फ टुंडा, कुलदीप उर्फ फज्जा, दिनेश और रोहित को गिरफ्तार किया गया है और आरोपी जरनैल को स्पेशल सेल द्वारा गिरफ्तार किया गया है.
बाद में गोगी को 03.03.16 को पानीपत पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, लेकिन जुलाई 2016 के महीने में वह बहादुरगढ़ क्षेत्र में न्यायिक हिरासत से फरार हो गया. दीपक की हत्या के प्रतिशोध में आरोपी टिल्लू के गिरोह के सदस्यों ने अरूण उर्फ कमांडो की हत्या को अंजाम दिया जो गैंगस्टर गोगी का सहयोगी था. इस मामले में सोनू को गिरफ्तार किया गया था और टिल्लू एक वर्ष से अधिक समय तक फरार रहा और बाद में उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया और वर्तमान में न्यायिक हिरासत में चल रहा है. इसके बाद दोनों गैंग के बीच कई बार वारदात को अंजाम दिया गया और दोनों के बीच की दुश्मनी बढ़ती चली गई.
वॉलीबॉल में जीता था पदक
वहीं गोगी ने वॉलीबॉल में पदक जीते थे, बिहार और जम्मू और कश्मीर में प्रतियोगिताओं में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया था. जब वह 17 साल का था, तब एक दुर्घटना में उसका दाहिना कंधा घायल हो गया था, जिसके कारण वह फिर कभी नहीं खेल सका. वॉलीबॉल में करियर के किसी भी मौके के साथ, गोगी ने पैसे कमाने के विकल्प खोजना शुरू किए. उनके बड़े भाई रविंदर टेंपो चलाते थे और किराए पर देते थे, जबकि उनके पिता मेहर सिंह एक निजी ठेकेदार थे जो अलीपुर में प्रमुख जमींदार जाट समुदाय से थे, उनको कैंसर हो गया था.
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