नई दिल्ली: कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव और पूर्णकालिक अध्यक्ष की मांग को लेकर सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले 23 नेताओं में शामिल जितिन प्रसाद ने शनिवार को कहा कि पत्र का गलत मतलब निकाला गया और उन्हें पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में पूरा विश्वास है. प्रसाद ने पीटीआई भाषा को दिए साक्षात्कार में यह भी कहा कि यह पत्र कभी भी नेतृत्व परिवर्तन की मंशा से नहीं लिखा गया.
पत्र पर हस्ताक्षर करने के कारण के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि पत्र यह सुझाव देने के मकसद से लिखा गया कि कैसे पार्टी को फिर से खड़ा किया जाए और मजबूती दी जाए और संगठन को प्रेरित करने के लिए आत्ममंथन किया जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस पत्र का मकसद नेतृत्व को कमतर दिखाना नहीं था. मैंने कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में भी यह कहा था. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि इस पत्र का गलत मतलब निकाला गया.
पत्र के माध्यम से कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को चुनौती देने से जुड़े आरोपों पर प्रसाद ने कहा कि मुझे सोनिया गांधी और राहुल गांधी के नेतृत्व पर पूरा विश्वास है और उन्हें मुझमें पूरा विश्वास है. उन्होंने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब पत्र से जुड़े विवाद को लेकर उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले की कांग्रेस कमेटी पिछले दिनों प्रस्ताव पारित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
प्रसाद ने कहा कि स्थानीय स्तर के प्रतिद्वंद्वी गुटों की तरफ से उकसाने पर इस तरह का प्रस्ताव पारित किया गया होगा. प्रसाद के अनुसार, हर लोकतांत्रिक पार्टी में इस तरह के छोटे-मोटे मामले होते हैं और यह स्थानीय स्तर के प्रतिद्वंद्वी गुटों के उकसावे का नतीजा भी हो सकता है. मुझे किसी से कोई गिला नहीं है क्योंकि हर कोई कांग्रेस परिवार का हिस्सा है.
उन्होंने कहा आगे कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा है कि मामला खत्म हो गया है अैर हमें सत्तापक्ष से लड़ाई पर ध्यान केंद्रित करना है.
लखीमपुरी खीरी के जिला कांग्रेस अध्यक्ष के उस कथित ऑडियो पर प्रसाद ने टिप्प्णी करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया था कि उनके खिलाफ प्रस्ताव अखिल भारतीय कांग्रेसे कमेटी के निर्देशानुसार पारित किया गया.
उन्होंने कहा कि मैं अपुष्ट खबरों पर टिप्पणी नहीं करता. प्रसाद ने इस बात पर जोर दिया कि अब बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के चुनाव आने वाले हैं और हमें पूरी ऊर्जा सांप्रदायिक ताकतों से लड़ने पर लगानी है.
पिछले दिनों गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और प्रसाद समेत कांग्रेस के 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठन में ऊपर से लेकर नीचे तक बदलाव और पूर्णकालिक और सक्रिय अध्यक्ष की मांग की थी. उनके इस पत्र को पार्टी के भीतर कई लोगों ने कांग्रेस नेतृत्व को चुनौती देने के तौर पर लिया.
इस पत्र से जुड़े विवाद की पृष्ठभूमि में ही 24 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति की हंगामेदार और मैराथन बैठक हुई, जिसमें सोनिया गांधी से अंतरिम अध्यक्ष रहने का आग्रह किया गया और संगठन में जरूरी बदलाव के लिए उन्हें अधिकृत किया गया.
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