कश्मीरी पंडितों की वापसी के लिए जम्मू कश्मीर विधानसभा ने प्रस्ताव पारित किया
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जम्मू: जम्मू कश्मीर विधानसभा ने एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत कश्मीरी पंडितों की घाटी में वापसी के लिए एक अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए गुरुवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर दिया. राज्य सरकार ने इस बात पर जोर दिया कि वह विस्थापित समुदाय के लिए अस्थायी शिविर स्थापित करने के अपने प्रस्ताव पर आगे बढ़ेगी जिसका अलगाववादी और कुछ मुख्यधारा के समूह कड़ा विरोध कर रहे हैं.
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होते ही पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए विधानसभा को कश्मीरी पंडितों और अन्य विस्थापितों की वापसी के लिए एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए. गुरुवार को ही के दिन 1990 में कश्मीरी पंडितों का बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हुआ था.
नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि 27 वर्ष पहले कश्मीर में ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ परिस्थितियों ने कश्मीरी पंडित समुदाय, सिख समुदाय के सदस्यों और कुछ मुस्लिमों को पलायन के लिए बाध्य किया था.
उमर ने कहा, ‘‘गुरुवार को 27 साल हो गए जब वे (कश्मीरी पंडित, कुछ सिख और मुस्लिम) घाटी छोड़कर गए थे और हमें राजनीति से उपर उठकर उनकी वापसी के लिए सदन में एक प्रस्ताव पारित करना चाहिए.’’ विधानसभाध्यक्ष कवींद्र गुप्ता ने प्रस्ताव रखा जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया.
‘‘सर्वसम्मति वाले इस कदम’’ का स्वागत करते हुए जम्मू कश्मीर के शिक्षा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता नईम अख्तर ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का कश्मीर पर ‘पूरा अधिकार’ है और सरकार घाटी में समुदाय के लिए अस्थायी शिविर स्थापित करने के प्रस्ताव पर आगे बढ़ेगी.
उन्होंने विधानसभा के बाहर कहा, ‘‘यह एक अच्छी पहल है जो पूरे सदन से आयी है जिसका मतलब है कि राजनीतिक व्यवस्था चाहती है कि पंडित वापस आयें.’’ उन्होंने कहा, ‘‘एक रूपरेखा पहले से तैयार है कि वे (कश्मीरी पंडित:) पहले अस्थायी शिविरों में आएंगे जहां वे सुरक्षित महसूस करेंगे. वे वहां (अस्थायी शिविरों में) एक या दो साल बिताएंगे जिसके बाद वे जहां चाहें एक मकान बना सकते हैं.’’
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