कोटा: कोटा के जे के लोन अस्पताल में एक महीने के अंदर करीब 80 नवजात बच्चे मौत के मुंह में समा गए, लेकिन इन बच्चों के परिजनों के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय नेता अपनी राजनीति चमकाने में जुटे हुए हैं. जहां इस मामले में विपक्षी नेता कांग्रेस की गहलोत सरकार को इस मामले को लेकर कटघरे में खड़ा कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ सीएम गहलोत का कहना है कि हमारे अब तक कार्यकाल में बच्चों की मौत के आंकड़े में कमी आई है.


वहीं इस मामले में जब राजनीति गर्माई तो नेताओं के कोटा के दौरे शुरू हो गए. विपक्षी पार्टी और उनके नेता राज्य सरकार को कोसने लगे और सरकार ने जांच कमेटी बनाकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की, लेकिन जो बच्चे दुनिया देखने से पहले ही दुनिया से विदा हो गए उनको न्याय कब मिलेगा ये कोई नहीं जानता. वहीं इस पूरे मामले में सबसे चौकाने वाली बात जो नजर आ रही है वो है जे के लोन अस्पताल के हालात.


जेके लोनअस्पताल के हालात कुछ इस तरह के हैं


20 वेन्टिलेटर- 11 खराब, 9 सही
71 वार्मर- 44 खराब, 27 सही
28 निमूलाइजर- 22 खराब, 6 सही


एनआईसीयू
15 वार्मर - 7 वार्मर खराब
4 की लाइटे स्टैंड सहित गायब, 3 बंद पड़े हैं.


भीषण सर्दी के इस मौसम में पैदाईशी बच्चों के लिए वारमर्स की सबसे ज्यादा जरुरत होती है, लेकिन यहां तो हालात ऐसे हैं कि एक वार्मर में तीन तीन बच्चों को रखा जा रहा हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि पीडियाट्रिक की तीन यूनिट संचालित होने के बाद भी विभाग अध्यक्ष द्वारा जेके लोन अस्पताल को अपने हाल पर क्यों छोड़ा गया. विभाग अध्यक्ष को उपकरण खराब होने की जानकारी थी तो उन्होंने समय पर मेडिकल कॉलेज प्रशासन को इसकी जानकारी क्यो नही दी.


सरकार अस्पताल में बच्चों की मौत की मौत के बीते पांच सालों के आंकड़े बताकर खुद को पाक साफ साबित करने की कोशिश भी कर रही है. राजस्थन सरकार का दावा है कि साल 2019 में सबसे कम मौतें हुई हैं, लेकिन दूसरी तरफ जे के लोन अस्पताल में बदइंतजामी का बोल बाला है. अस्पताल में हरतरफ गंदगी है. वहीं आईसीयू और एनआईसीयू में उपकरणों की बेहद कमी है.


वैसे तो ये संभाग का सबसे बड़ा बच्चों का अस्पताल है, लेकिन स्टाफ की संख्या नाम मात्र की है. अब बच्चों की मौतों के बाद सरकारी बजट भी जारी हो रहे हैं तो नेता अपने कोटे से पैसा जारी करके ऑक्सीजन पाइप लाइन भी बिछवा रहे हैं. शायद अब अस्पताल की सूरत तो कुछ दिनों में बदल जाए लेकिन सरकारी कामकाज की रफ्तार कब बदलेगी ये कोई नहीं जानता.


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