J&K: NIA ने अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद सहित सात लोगों को किया गिरफ्तार
जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है उनके घरों पर एनआईए अधिकारियों ने पिछले महीने छापा मारा था. शाह को तहरीक-ए-हुर्रियत में एक प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है.
श्रीनगर/नई दिल्ली: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आज कट्टरपंथी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद अल्ताफ अहमद शाह सहित सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया. आतंकवादियों की आर्थिक मदद और कश्मीर घाटी में अशांति फैलाने वाली गतिविधियों की जांच के सिलसिले में एनआईए ने यह गिरफ्तारी की.
अल्ताफ अहमद शाह को अल्ताफ फंटूश के नाम से जाना जाता है. वह जम्मू कश्मीर पुलिस की हिरासत में था. पुलिस ने इस महीने के शुरू में ईद के तत्काल बाद उसे एहतियातन हिरासत में रखा था. अभियान में लगे अधिकारियों ने बताया कि शाह के अलावा गिलानी के नजदीकी सहयोगियों तहरीक-ए-हुर्रियत प्रवक्ता अयाज अकबर और पीर सैफुल्लाह को भी एनआईए ने घाटी से गिरफ्तार किया.
अधिकारियों ने बताया कि एनआईए ने मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धड़े के प्रवक्ता शाहिद उल इस्लाम को भी गिरफ्तार किया है. उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए दूसरे व्यक्तियों में मेहराजुद्दीन कलवाल और नईम खान और फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे शामिल हैं.
जिन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है उनके घरों पर एनआईए अधिकारियों ने पिछले महीने छापा मारा था. शाह को तहरीक-ए-हुर्रियत में एक प्रभावशाली व्यक्ति माना जाता है.
आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के मुखौटा संगठन पाकिस्तान स्थित जमात उल दावा प्रमुख हाफिज सईद को प्राथमिकी में आरोपी के तौर पर नामित किया गया है. इसके साथ ही इसमें हुर्रियत कान्फ्रेंस (गिलानी और मीरवाइज फारूक के नेतृत्व वाले धड़ों), हिजबुल मुजाहिदीन और दुख्तरन-ए-मिलत का भी नाम है.
एनआईए की छापेमारी अलगाववादी समूहों पर नकेल कसने के प्रयासों का हिस्सा थी जो घाटी में अशांति फैलाने वाली गतिविधियों के लिए कथित रूप से धनराशि प्राप्त करते हैं. एनआईए ने छापे के दौरान खाता बही, दो करोड़ रूपये नकद के साथ ही लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन सहित प्रतिबंधित आतंकवादी समूहों के लेटरहेड मिले थे.
एनआईए की जांच का उद्देश्य आतंकवादी गतिविधियों की आर्थिक मदद के पीछे जो लोग हैं उनकी पहचान करना था. इसमें सुरक्षा बलों पर पथराव, स्कूल जलाने और सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रचने वाले भी शामिल हैं. कश्मीर में 1990 की शुरूआत में आतंकवाद बढ़ने के बाद पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी केंद्रीय एजेंसी ने अलगाववादियों के आर्थिक मदद के सिलसिले में छापेमारी की है.