नई दिल्लीः जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल एन-एन बोहरा के अधीन शासन शुरू हो गया है और उन्होंने दो एडवाइजर नियुक्त किए हैं.


बीबी व्यास


जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के दो सलाहकारों में से एक बीबी व्यास राज्य के मुख्य सचिव के तौर पर पहले काम कर चुके हैं. अपने मुख्य सचिव के तीसरे कार्यकाल के दौरान बीबी व्यास जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल एन एन बोहरा के सलाहकार के तौर पर नियुक्त किए गए हैं. बीबी व्यास 1986 बैच के आईएएस अधिकारी हैं.


बीबी व्यास राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था की नब्ज पहचानते हैं और इन्हें राज्य सरकार के विकास से जुड़े विभागों का काम सौंपा जाएगा. उन्हें कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख सभी रीजन का काम देखना होगा. चूंकि वो राज्य की प्रशासनिक कार्यों को पहले भी अलग-अलग रोल में पूरा कर चुके हैं और इनका इन रीजन से जुड़ाव है तो वो अच्छे से इन कार्यों को संभाल सकते हैं.


गृह मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक सलाहकार के तौर पर विभागों के प्लान और नीतियों के लागू करने से जुड़ी फाइलों का अवलोकन करेंगे. चूंकि गवर्नर सभी फाइलों को नहीं देख सकते इसलिए सलाहकार का रोल उस मंत्रालय के मंत्री के तौर पर ही होगा.


विजय कुमार
राज्यपाल एनएन बोहरा के दूसरे सलाहकार होंगे विजय कुमार जो 1975 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और उन्हें सुपर कॉप या चंदन तस्कर किंग वीरप्पन को मारने वाला अधिकारी कहा जाता है. ये जम्मू और कश्मीर के गवर्नर के सलाहकार के तौर पर राज्य के गृह और सुरक्षा संबधी विभागों को देखेंगे और गवर्नर को सलाह देंगे.


गृह मंत्री राजनाथ सिंह के अधीन नक्सली मामलों के सीनियर सिक्योरिटी एडवाइजर के तौर पर काम करने के बाद अब उन्हें जेएंडके के राज्यपाल का सलाहकार नियुक्त किया गया है. उन्होंने नॉर्थ ब्लाक स्थित अपना ऑफिस पिछले हफ्ते ही खाली किया है.  उस समय जब उनसे उनकी आगे की योजनाओं के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि वो चेन्नई वापस जाएंगे और ऑपरेशनल इश्यू के ऊपर एक किताब लिखेंगे.


बदलते घटनाक्रम के तहत उन्हें जम्मू और कश्मीर में गवर्नर शासन के लिए सिक्योरिटी ऑपरेशन प्लानिंग और प्लान के लिए दूसरा एसाइनमेंट दिया गया है. वीरप्पन को मारने वाले अधिकारी के रुप में लोकप्रिय विजय कुमार तमिलनाडु में स्पेशल टास्क फोर्स के हेड थे जिन्होंने 'ऑपरेशन कोकून' लॉन्च किया था और इसके फलस्वरुप चंदन तस्कर किंग को उनके नेतृत्व में मार गिराया गया.


जब उनसे उनके श्रीनगर भेजे जाने और वहां के रोल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने ज्यादा जबाव न देते हुए सिर्फ इतना कहा कि वो आज श्रीनगर जा रहे हैं और वो राज्यपाल के अधीन काम करना पसंद करेंगे और राज्य में एक महान टीम काम कर रही है.


सीआरपीएफ डीजी के तौर पर उनके पास 2010 से 2012 तक नक्सलियों के विरुद्ध ऑपरेशन को अंजाम देने का श्रेय जाता है. इसके बाद वो झारखंड के एंटी नक्सल एडवाइजर के तौर पर नियुक्त हुए. बाद में गृह मंत्रालय ने उन्हें मंत्रालय में सीनियर सिक्योरिटी एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया जहां वो एंटी नक्सल प्लानिंग के कार्य को देखते थे.


J&K: राज्यपाल शासन के दौरान एनएन वोहरा की पहली चुनौती होगी सुरक्षित अमरनाथ यात्रा


BVR सुब्रमण्यम बने J&K के अगले मुख्य सचिव, आंतरिक सुरक्षा के विशेषज्ञ माने जाते हैं