J&K: राज्यपाल शासन के दौरान एनएन वोहरा की पहली चुनौती होगी सुरक्षित अमरनाथ यात्रा
जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने को राष्ट्रपति के मंजूरी के साथ तत्काल प्रभाव के साथ ही राज्य के प्रशासन की कमान सीधे राज्यपाल एनएन वोहरा के हाथ मे आ गया है. अब राज्यपाल वोहरा अलगावादियों और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपेरशन सख्ती से लागू कराने का निर्देश दे सकेंगे.
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू करने को राष्ट्रपति के मंजूरी के साथ तत्काल प्रभाव के साथ ही राज्य के प्रशासन की कमान सीधे राज्यपाल एनएन वोहरा के हाथ मे आ गया है. अब राज्यपाल वोहरा अलगावादियों और आतंकवादियों के खिलाफ ऑपेरशन सख्ती से लागू कराने का निर्देश दे सकेंगे. यानि केंद्र सरकार की सख्त नीति को लागू करने जिम्मा अब राज्यपाल पर है. महबूबा मुफ्ती पर देश विरोधी ताक़तों के साथ नरमी का आरोप बीजेपी ने लगाया था. ऐसे में राज्य के सुरक्षा हालात में जल्द बदलाव दिखे, ये राज्यपाल वोहरा को सुनिश्चित करना होगा. गृह मंत्रालय के कश्मीर महकमें के एक अधिकारी के मुताबिक "सुरक्षा के फ्रंट पर राज्यपाल वोहरा की चुनौती सबसे ज्यादा है, लेकिन उनके प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए ही मोदी सरकार ने उनका कार्यकाल बढ़ाते हुए उनपर दांव लगाया है. साथ ही उनके सहयोग के लिए सलाहकार भी अनुभवी होंगे ताकि चुनौती पर राज्यपाल खरे उतर सकेंगे."
हालांकि खुफिया ब्यूरो के एक बड़े अफसर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि राज्यपाल शासन में अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है. अमरनाथ यात्रा इस साल 28 जून को शुरू हो रही है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के शह पर लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद के आतंकी एक बार फिर अमरनाथ यात्रा पर हमले की साजिश रच रहे हैं. इसके लिए सीमा पार से घुसपैठ की कोशिश हर रात हो रही है जिसे नाकाम करने में हमारी सेना जुटी है.
हालांकि अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियों का प्लान तैयार है. सूत्रों के मुताबिक सुरक्षा में कोई चूक ना हो ये सुनिश्चित करने के लिए राज्यपाल एनएन वोहरा जल्द ही यूनिफाइड कमांड की बैठक बुलायेंगे. दरअसल केंद्र सरकार ने तमाम सुरक्षा एजेंसियों को ये सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि अमरनाथ यात्रा के सुरक्षा में पिछले साल की तरह कोई चूक ना हो. पिछले साल अमरनाथ यात्रा के बस पर लश्कर के आतंकियों का हमला हुआ था उससे सरकार की किरकिरी हुई थी.
गृह मंत्रालय ने अहम फैसला लेते हुए इस साल अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के लिए पिछले साल के मुकाबले सुरक्षा बलों की तादाद 17 फीसदी ज्यादा बढ़ाई है. इसके अलावा सेना भी रोड ओपेनिंग, एरिया डोमिनेशन और आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन का काम करेगी ताकि हमले की किसी भी साजिश को नाकाम किया जा सके. 2017 में सुरक्षा बलों की 204 कंपनियां तैनाती की गईं थी. लेकिन 2018 में केंद्रीय सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाकर 238 कंपनिया कर दी गई. प्लान के मुताबिक एसपी स्तर के अधिकारियों द्वारा अर्धसैनिक बलों के कंपनियों की अगुवाई की जाएगी.
अमरनाथ यात्रियों की मदद के लिए 1364 हेल्पलाइन नंबर होगा जो सुरक्षा और प्रशासनिक महकमों के साथ तालमेल में काम करेगा. सुरक्षा के लिहाज से अमरनाथ यात्रियों के वाहनों में आरएफ यानि रेडियो फ्रीक्वेंसी आईडी टैग लगा होगा और आर एफ टैग नाकों और पार्किंग के बैरियर पर होगा जिनसे वाहनों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी. अमरनाथ यात्रा पर तीसरी आंख से सुरक्षा एजेंसियों की नज़र होगी और संवेदनशील जगहों पर ड्रोन कैमरों से नजर रखी जाएगी. वहीं रुट पर सीसीटीवी टीवी लगी होगी ताकि संदिग्ध गतिविधियों पर नज़र रखी जाए.
खुफिया एजेंसियों के अलर्ट के मुताबिक सस्पेंशन ऑफ ऑपेरशन खत्म होने के बाद दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ ऑपेरशन तेज़ कर दिया है. दरअसल अमरनाथ यात्रा का ज्यादा हिस्सा दक्षिण कश्मीर से गुजरता है जो कि अलगावादियों और आतंकियों का गढ़ था. आरोप लगा था कि महबूबा मुफ्ती ने विकास के मामले में भी भेदभाव किया था और इसका जम्मू और लद्दाख को खामियाजा भुगतना पड़ा था. यही वजह है कि केंद्र ने 1987 बैच के तेज़ तर्रार आईएएस बीवीएस सुब्रमण्यम को जम्मू कश्मीर भेजा है और वो राज्य के नए चीफ सेक्रेटरी होंगे. अब राज्यपाल और प्रशासन की जिम्मेदारी होगी कि 2019 से पहले जम्मू और लद्दाख़ में विकास के कामों तेज़ी लाकर जनता की नाराज़गी दूर करें.