नई दिल्ली: केंद्र की मोदी सरकार का कश्मीर के अलगाववादियों के खिलाफ एक्शन जारी है. शुक्रवार को केंद्र सरकार ने कहा कि कई हिंसक घटनाओं और 1988 से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के कारण यासीन मलिक की नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलफ) पर प्रतिबंध लगा दिया गया.


साथ ही एक सूत्र ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद से जुड़ी 25 और शब्बीर शाह की चार संपत्तियों तथा आतंकवादी संगठनों से जुड़े अन्य दर्जनों लोगों की अचल संपत्तियों को जल्द ही जांच एजेंसियों द्वारा जब्त किया जाएगा.


पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट पर प्रतिबंध का विरोध किया है. उन्होंने कहा कि यह एक 'हानिकारक कदम' है जो कश्मीर को एक खुली जेल में बदल देगा.


मुफ्ती ने कहा, “जम्मू कश्मीर मुद्दे के हल के लिये यासीन मलिक ने काफी समय पहले हिंसा की आलोचना की थी. तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी जी की वार्ता पहल में उन्हें एक पक्षकार के तौर पर देखा गया था. उनके संगठन पर प्रतिबंध से क्या हासिल होगा?” महबूबा मुफ्ती ने एक ट्वीट में कहा, “ऐसे हानिकारक कदमों से कश्मीर सिर्फ खुली जेल में तब्दील होगा.”


ध्यान रहे कि कभी जेकेएलएफ ने ही महबूबा मुफ्ती की बहन रूबिया सईद का अपहरण किया था. केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने कहा कि जेकेएलएफ ने कश्मीर घाटी में अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दिया और आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की केंद्र सरकार की नीति के तहत यह कार्रवाई की गई है.


उन्होंने कहा कि 1989 में जेकेएलएफ द्वारा कश्मीरी पंडितों की हत्याओं से घाटी से उनका पलायन शुरू हुआ. मलिक घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का षडयंत्रकारी और उनके नरसंहार के लिए जिम्मेदार है.


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सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति ने अलगाववादी समूह पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया. इसके बाद उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जेकेएलएफ के खिलाफ कई गंभीर मामले दर्ज हैं. यह संगठन तत्कालीन वी पी सिंह सरकार में गृह मंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण और वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या के लिए जिम्मेदार है.


मलिक अभी जम्मू की कोट बलवाल जेल में बंद है. रूबिया सईद के अपहरण और श्रीनगर में चार वायुसेना कर्मियों की हत्या के तीन दशक पुराने मामलों में उसके मुकदमे का सामना करने की संभावना है.


जेकेएलएफ की स्थापना 1970 के मध्य में बर्मिंघम में पाकिस्तानी नागरिक अमानुल्लाह खान द्वारा की गई थी. यह संगठन 1971 में उस समय सुर्खिया में आया जब उसके सदस्य ने श्रीनगर से जम्मू जा रहे इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को अगवा कर लिया.