JMM में होने वाली है टूट! आखिर क्यों देरी कर रहे राज्यपाल? झारखंड के लिए क्या है BJP का प्लान
Jharkhand Politics: झारखंड में जेएमएम नेता हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद राज्य का सियासी माहौल एकदम से गरमा गया. हेमंत सोरेन की पार्टी में टूट की खबरें सामने आ रहीं.
Hemant Soren Arrested: क्या जेएमएम में टूट होने वाली है? आखिर राज्यपाल फैसला लेने में देरी क्यों कर रहे हैं? अब बीजेपी का आगे का प्लान क्या होगा? इस तरह के कई सवाल झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद लोगों के मन में कौंध रहे हैं.
सीता सोरेन, विधायक- जामा, लोबिन हेम्ब्रम, विधायक- बोरियो, चमरा लिंडा, विधायक- बिशुनपुर, रामदास सोरेन, विधायक- घाटशिला. जेएमएम के इन चार विधायकों ने झारखंड की सत्ता का सस्पेंस गहरा कर दिया है. ये वो चार विधायक हैं जिन्होंने चंपई सोरेन के समर्थन पत्र पर दस्तखत नहीं किये हैं.
क्या कहा निशिकांत दुबे ने?
बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने जो दावा किया है उसके मुताबिक चंपई सोरेन के पास बहुमत नहीं है. उन्होंने आज गुरुवार (01 फरवरी) को दोपहर को सोशल मीडिया पर लिखा, “रांची सर्किट हाउस में हैदराबाद जाने वाले केवल 35 विधायक हैं. सरफराज अहमद विधायक नहीं है और हेमंत सोरेन जी जेल में हैं. अभी सभी विधायक राजभवन जाएंगे, वहां से वे एयरपोर्ट गाय, बकरी की तरह ढूंस के ले जाए जा रहे हैं. जेएमएम के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन जी की अनुपस्थिति में यह निर्णय विधायक दल के नेता का कौन लेगा? सूचना अनुसार शिबू सोरेन जी मुख्यमंत्री बसंत सोरेन जी को बनाना चाहते हैं.”
कौन डाल रहा जेएमएम में फूट?
तो क्या वाकई में जेएमएम विधायक दल में टूट की आशंका है और सवाल ये कि क्या बागी विधायकों की संख्या इससे ज्यादा है? असल में फूट की शुरुआत सोरेन के घर से ही हुई है.
जामा की विधायक सीता सोरेन पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की भाभी हैं. शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की मौत के बाद 2009 में सीता सोरेन राजनीति में सक्रिय हुईं थीं. वो तीन बार की विधायक हैं. बताया जा रहा है कि सीता सोरेन की महत्वकांक्षा भी पावर पाने की रही है.
राजनीतिक गलियारों में जब से हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के सीएम बनने की बात चली तभी से सीता सोरेन नाराज हो गईं. वो सरकार के खिलाफ पहले भी सोशल मीडिया पर टिप्पणी करती रही हैं. सीता सोरेन की बेटियों ने पिता दुर्गा सोरेन के नाम पर झारखंड में अलग से संगठन बना रखा है. जिसके जरिए सरकार को घेरने की कोशिश होती रही है.
सोरेन परिवार
दुर्गा सोरेन- हेमंत सोरेन- बसंत सोरेन. ये तीन बेटे हैं शिबू सोरेन के. दुर्गा सोरेन की मौत हो चुकी है और उनकी पत्नी सीता सोरेन विधायक हैं. जबकि हेमंत सोरेन पार्टी के प्रमुख हैं और सीएम रह चुके हैं, कल्पना इनकी पत्नी हैं. बसंत सोरेन अभी दुमका से विधायक हैं पार्टी युवा मोर्चा के अध्यक्ष हैं.
परिवार में फूट, विधायकों में बंटवारा
परिवार में फूट की वजह से ही विधायक दल में बंटवारा हो चुका है. बागी विधायकों की संख्या बढ़ती है तो फिर झारखंड की सियासत में नई तस्वीर बन सकती है.
बागी विधायकों में से एक लोबिन हेम्ब्रम उन विधायकों में से हैं जो पार्टी के खिलाफ पहले से बोलते रहे हैं. पिछले साल लोबिन ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ मोर्चा खोला था. जेएमएम विधायक चमरा लिंडा भी पार्टी के खिलाफ बोलते रहे हैं, अक्सर पार्टी मीटिंग से गायब रहते हैं.
बागी विधायक सीता सोरेन ने एबीपी न्यूज से बात की. चंपई सोरेन के सवाल पर सीता ने कहा कि सब ठीक है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी पर सीता ने कहा है कि अरेस्टिंग पर कुछ नहीं कहना है.
झारखंड के इस सियासी माहौल में बीजेपी की भूमिका
सवाल ये कि झारखंड के सियासी समीकरण में बीजेपी की क्या भूमिका होगी, क्या बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में है. क्या है बीजेपी का प्लान? हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद राज्य की सियासत में सत्ता का खेल शुरू हो चुका है. चंपई सोरेन को भले ही गठबंधन ने विधायक दल का नेता चुना है लेकिन चंपई के लिए सीएम का सफर आसान नहीं दिख रहा.
झारखंड के सियासी संकट पर बीजेपी की भी नजर बनी हुई है और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के बहाने बीजेपी के प्रभारी लक्ष्मीकांl वाजपेयी और पार्टी के संगठन मंत्री बीएल संतोष रांची में मौजूद हैं. हालांकि पार्टी का मानना है कि सरकार गिरने की स्थिति में बीजेपी चुनाव में जाना पसंद करेगी.
झारखंड विधानसभा के आंकड़े
झारखंड में कुल 81 सीट हैं. जिसमें से एक सीट खाली है. ऐसे में बहुमत के लिए 41 का आंकड़ा चाहिए. जेएमएम के 29, कांग्रेस के 17, आरजेडी और लेफ्ट का 1-1 विधायक है. इनका कुल जोड़ 48 होता है. सरकार के साथ हेमंत सोरेन को मिलाकर 44 विधायकों का समर्थन दिख रहा है, 4 विधायक बागी हैं.
यानी बहुमत का आंकड़ा अभी जेएमएम के पास दिख तो रहा है लेकिन बागी विधायकों की संख्या बढ़ती है तो फिर जेएमएम के लिए सरकार बनाना संभव नहीं हो पाएगा. चूंकि इसी साल चुनाव होने हैं इसलिए, बीजेपी जोड़ तोड़ की सरकार बनाने के पक्ष में बिल्कुल नहीं है. ऐसी सूरत में राज्यपाल राष्ट्रपति शासन की सिफारिश कर सकते हैं.
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