ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित हिंदी के बहुत बड़े कवि केदारनाथ सिंह का निधन
अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का निधन हो गया. वो 84 साल के थे. उनके परिवार में एक बेटा और पांच बेटियां हैं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था.
नयी दिल्ली: हिन्दी की समकालीन कविता और आलोचना के सशक्त हस्ताक्षर और अज्ञेय द्वारा संपादित ‘तीसरा सप्तक’ के प्रमुख कवि डॉ. केदारनाथ सिंह का निधन हो गया. वो 84 साल के थे. उनके परिवार में एक बेटा और पांच बेटियां हैं. पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि डॉ. केदारनाथ सिंह को करीब डेढ़ माह पहले कोलकाता में निमोनिया हो गया था. इसके बाद से वो बीमार चल रहे थे. पेट के इंफेक्शन के चलते उनका बीते सोमवार की रात करीब पौने नौ बजे एम्स में निधन हो गया.
हिंदी के वरिष्ठ कवि केदारनाथ सिंह का जन्म 1934 में उत्तर प्रदेश के बलिया में हुआ था. वो हिंदी कविता में नए बिंबों के प्रयोग के लिए जाने जाते हैं. साल 2013 में केदारनाथ सिंह की सेवाओं के लिए उन्हें साहित्य के सबसे बड़े सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें इसके अलावा साहित्य अकादमी पुरस्कार और व्यास सम्मान सहित कई सम्मानों से पुरस्कृत किया गया था.
उनके प्रमुख कविता संग्रहों में ‘अभी बिलकुल अभी', 'जमीन पक रही है', 'यहां से देखो', 'बाघ', 'अकाल में सारस' और 'उत्तर कबीर’ शामिल हैं. आलोचना संग्रहों में ‘कल्पना और छायावाद', 'मेरे समय के शब्द’ प्रमुख हैं. उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर तीन बजे लोदी रोड शमशान घाट में किया जायेगा.
राजनाथ सिंह ने जताया शोक उनके निधन पर शोक जाहिर करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया, "सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी के निधन के समाचार से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है. सरल भाषा में जीवन की जटिलताओं की अभिव्यक्ति करने की उनकी अनूठी शैली थी. उनके निधन से हिंदी जगत का एक सशक्त हस्ताक्षर मिट गया है. ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें."
सुप्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार केदारनाथ सिंह जी के निधन के समाचार से मुझे गहरी वेदना की अनुभूति हुई है। सरल भाषा में जीवन की जटिलताओं की अभिव्यक्ति करने की उनकी अनूठी शैली थी। उनके निधन से हिंदी जगत का एक सशक्त हस्ताक्षर मिट गया है. ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) March 19, 2018
ओम थानवी ने लिखा- बनारस के घाट सहसा सूने हो गए, जेएनयू की हलचल थम गई
उनके देहांत के बाद से हिंदी जगत में गहरा शोक छाया है और आमो खास उनके नहीं रहने पर अपनी संवेदना व्यक्त कर रहे हैं और यादें साझा कर रहे हैं. इसी सिलसिले में 'पत्रिका' के सलाहकार संपादक ओम थानवी ने कई लंबे पोस्ट लिखे. उन्होंने पहले पोस्ट में लिखा-
वहीं मीडिया विश्लेषक, लेखक और साहित्यकार के तौर पर जाने जाने वाले विनीत कुमार अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं-