AMU के JNMCH ने समय सीमा में कोरोना वैक्सीन ट्रायल की प्रक्रिया पूरी की, भारत बायोटेक ने की तारीफ
एएमयू के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (JNMCH) को भारत बायोटेक की तरफ से एक प्रशंसा पत्र मिला है. कंपनी ने पत्र समय सीमा के अंदर अच्छी तरह से कोवैक्सिन के फेज 3 ट्रायल के तहत 1,000 वॉलंटियर्स के एनरोलमेंट और मूल्यांकन प्रोसेस को पूरा करने के लिए दिया है. ट्रायल से जुड़ी टीम के अनुसार, इस दौरान वैक्सीन से जुड़े मिथकों से लड़ना बड़ी चुनौती रही.
नई दिल्लीः अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (JNMCH) को फार्मा कंपनी भारत बायोटेक की तरफ से एक प्रशंसा पत्र मिला है. कंपनी ने पत्र समय सीमा के अंदर अच्छी तरह से कोवैक्सिन के फेज 3 ट्रायल के तहत 1,000 वॉलंटियर्स के एनरोलमेंट और मूल्यांकन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए दिया है.
माइक्रोबायोलॉजी पोस्टग्रेजुएट शफीक-उर रहमान खान इस ड्राइव के दो फील्ड अधिकारियों में से एक थे. खान ने कहा कि “सबसे बड़ी चुनौती उन मिथकों से लड़ने की थी, जिन्हें लोग टीके से जोड़ते हैं. हमसे बार-बार पूछा गया कि क्या यह बांझपन का कारण होगा. यह विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा थी और समाज में मेरे खड़े होने से मिथकों को दूर करने में मदद मिली. ”
समय सीमा में पूरा हुआ काम द हिन्दू की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर प्रो. मोहम्मद शमीम के अनुसार, यूनिवर्सिटी को भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला के बेटे डॉ. रैचस एला से प्रशंसा पत्र मिला है, जो फेज 3 ट्रायल्स का कोर्डिनेशन कर रहे हैं. पत्र में कुलपति, प्रोफेसर और उनकी टीम को "स्पीडली एनरोमेंट और एक्जीक्यूशन" के लिए बधाई दी गई.
पत्र ने कहा गया है कि जहां कई अन्य साइटें विफल रहीं, वहीं एएयू की टीम ने समय सीमा में अपना काम पूरा किया. उन्होंने का कहा कि इसकी प्रक्रिया नवंबर के पहले सप्ताह में शुरू हुई थी जब जेएनएमसीएच को आईसीएमआर से कोविड वैक्सीन ट्राइल साइट के रूप में चुने जाने का लेटर मिला था.
लोगों की वैक्सीन के प्रति शंका को किया दूर प्रो शमीम ने कहा कि “हमारे फील्ड वर्कर्स ने इस शंका को दूर करने में एक अच्छा काम किया कि टीकाकरण का लक्ष्य जनसंख्या नियंत्रण नहीं है. यहशंका एक समुदाय या धर्म तक ही सीमित नहीं है. यह लोगों में बीच एक मिथ है, ” उन्होंने का कि हम वॉलंटियर्स को बताते हैं कि इसका प्रजनन क्षमता से कोई लेना-देना नहीं है.वहीं, खान ने कहा कि वॉलंटियर्स को धर्म के आधार पर नहीं चुना गया था. अलीगढ़ के आसपास लगभग 10 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर किया और वॉलंटियर्स में हिंदू और मुस्लिम दोनों शामिल हैं. आईसीएमआर प्रोटोकॉल के अनुसार इनमें 25 फीसदी हाई –रिस्क कैटेगरी के वॉलंटियर्स भी शामिल थे.
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