JNU Student Protest: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के प्रशासन ने छात्रों के लिए नई गाइडलाइन लागू की है, जिसको लेकर अब विरोध शुरू हो गया है. नए दिशा निर्देशों के तहत अगर कोई छात्र कैंपस के अंदर प्रदर्शन करता है तो उस पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा. इतना ही नहीं प्रदर्शन के दौरान अगर कोई झड़प होती है या फिर किसी लेक्चरर या प्रोफेसर के साथ बहसबाजी की जाती है तो छात्रों को निष्कासित तक किया जा सकता है.


यही वजह है कि छात्र इन नई गाइडलाइन का विरोध कर रहे हैं और इस नए दिशा निर्देश को तुगलकी फरमान बता रहे हैं. एबीवीपी संगठन से जुड़े छात्रों का कहना है कि वो इन दिशा निर्देशों का पूरी तरीके से विरोध करते हैं क्योंकि ये दिशानिर्देश डेमोक्रेसी के खिलाफ है. हमारा विश्वविद्यालय डिबेट के लिए जाना जाता है. अगर उसी को बंद कर दिया जाएगा तो फिर छात्र-छात्राएं डेमोक्रेटिक तरीके से अपनी बात या अपनी शिकायतें कैसे रखेंगे.


छात्रों ने गिनाई समस्याएं


छात्रों ने कहा कि यहां पर हॉस्टल में कई तरीके की समस्याएं हैं जैसे कमरे काफी पुराने हो चुके हैं, जिसकी वजह से उनका प्लास्टर गिर रहा है. मैस के अंदर जो खाना होता है उसकी क्वालिटी भी बेकार है. अगर हम इन सबकी शिकायत करते हैं तो उस पर कोई सुनवाई नहीं होती है. हमारे पास प्रदर्शन का ही एक रास्ता बचता है. अब उस पर भी रोक लगाई जा रही है, तो फिर हमारी सुनवाई कैसे होगी.


छात्रों ने आगे कहा कि इस यूनिवर्सिटी में दूरदराज गांव से बच्चे पढ़ने आते हैं, जो साधारण परिवार से होते हैं. उन पर 20,000 रुपये का फाइन लगाने की बात कही गई है, जो पूरी तरीके से बेमानी है. अगर कोई कार्रवाई करनी भी होती है तो उसके पहले एक कमेटी का गठन किया जाता है. कमेटी से जांच करवाई जाती है तब जाकर कोई सख्त एक्शन लिया जाता है, लेकिन ये जो नई दिशा निर्देश बनाई गई है इसमें ऐसा कुछ नहीं है.


‘दो महीने पहले ही बन गई थी गाइडलाइन्स’


छात्रों ने कहा, ‘हमें ये भी जानकारी मिली है दिशानिर्देशों को जनवरी में ही तैयार कर लिया गया था लेकिन अब उन्हें वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. हम तब तक विरोध करते रहेंगे जब तक ये दिशानिर्देश वापस नहीं ले लिए जाते हैं. यही देखना है कि हम इसका विरोध कैसे करते हैं क्योंकि हमें कानून का पालन करते हुए अपना विरोध व्यक्त करना है. इस तरीके के तुगलकी फरमान का कोई औचित्य नहीं.


जेएनयू कैंपस में ही पढ़ने वाले साधारण छात्रों का भी कहना है कि इस तरह की गाइडलाइंस तर्क हीन हैं और तुगलकी फरमान से कम नहीं है. डेमोक्रेटिक तरीके में शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन मान्य होता है लेकिन प्रशासन ने इस पर ही रोक लगा दी हैं और काफी भारी जुर्माना लगाने की बात कही है. हम इसके विरोध में हैं.


गाइडलाइन्स पर लेफ्ट संगठन


इस विषय पर जब लेफ्ट संगठनों से बात की तो उन्होंने कहा कि गुरुवार रात को ऑल स्टूडेंट मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें इस पर चर्चा की जाएगी जो भी नतीजा निकलता है उसके बाद हम मीडिया में अपना पक्ष रखेंगे. साथ ही साथ उन्होंने ये भी कहा कि ये जो गाइडलाइंस हैं, ये गलत है और हम इसके समर्थन में नहीं है. वहीं, जेएनयू प्रशासन ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया.


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