नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में छात्रों और शिक्षकों पर हुए हमले में शामिल लोगों की पहचान के लिए दिल्ली पुलिस वीडियो फुटेज और चेहरे पहचानने की प्रणाली का इस्तेमाल कर रही है. सूत्रों ने बताया कि पुलिस हमले को लेकर हिंदू रक्षा दल के दावे की जांच भी कर रही है.
सूत्रों के मुताबिक, पुलिस ने उस दावे का भी संज्ञान लिया है. जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष सहित हमले में कम से कम 34 लोग घायल हो गए थे.
छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष पर FIR दर्ज
वहीं, पुलिस ने सर्वर रूम में तोड़फोड़ की घटना के संबंध में दिल्ली पुलिस ने दो प्राथमिकी दर्ज की है. पुलिस ने बताया कि ये प्राथमिकी जेएनयू प्रशासन की शिकायत पर पांच जनवरी को दर्ज की गई. जेएनयू प्रशासन ने तोड़फोड़ के सिलसिले में छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष समेत अन्य पदाधिकारियों के नाम दिए थे लेकिन पुलिस ने घोष या अन्य छात्रों के नाम प्राथमिकी में आरोपी के रूप में दर्ज नहीं किए हैं.
कुछ छात्रों को निशाना बना रहा है प्रशासन- मून
पुलिस ने बताया कि सर्वर बंद करने की शिकायत तीन जनवरी को और सर्वर रूप में तोड़फोड़ की शिकायत चार जनवरी को दर्ज करवाई गई थी. जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने आरोप लगाया कि प्रशासन कुछ छात्रों को चुन-चुनकर निशाना बना रहा है. मून ने सर्वर रूप में तोड़फोड़ की घटना में संलिप्तता से इनकार किया.
बता दें कि जेएनयू कैंपस में रविवार रात लाठियों और लोहे की छड़ों से लैस कुछ नकाबपोश बदमाशों ने छात्रों और शिक्षकों पर हमला कर दिया था और कैंपस में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था. बाद में प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा.
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