नई दिल्लीः जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में हॉस्टल फीस बढ़ोतरी को लेकर वीसी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि समस्या यह है कि कई छात्र अवैध रूप से हॉस्टल में रह रहे हैं. ये बाहरी भी हो सकते हैं. यह लोग शायद किसी भी संभावित हिंसा में भाग ले सकते हैं क्योंकि उनका यूनिवर्सिटी से कोई लेना देना नहीं है. वीसी ने कहा कि कुछ सक्रिय छात्रों ने यूनिवर्सिटी के हॉस्टल में इस कदर आतंक मचाया कि कई छात्रों को हॉस्टल छोड़ना पड़ा.


वीसी एम जगदेश कुमार ने कहा, ''कुछ सक्रिय छात्रों ने यूनिवर्सिटी हॉस्टल के अंदर इस कदर आतंक मचाया कि हमारे कई छात्रों को हॉस्टल छोड़ना पड़ा. पिछले कई दिनों से हमने सुरक्षा बढ़ा दी है जिससे यह तय हो सके कि निर्दोष छात्रों को किसी भी तरह का चोट नहीं पहुंचे.''


इससे पहले वीसी जगदीश कुमार ने छात्रों के साथ बातचीत की थी. इस बातचीत के बाद जेएनयू छात्र संघ के सचिव ने बताया कि वीसी ने छात्रसंघ को नहीं बुलाया था. उन्होंने कहा कि पता नहीं वीसी किन छात्रों से मिले हैं.


जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि पुलिस की आज की ब्रीफिंग में तथ्यों में तोड़ा-मरोड़ा गया है जिसमें अर्धसत्य और झूठ था. उसने कहा, ''बहुत अहम तथ्य यह है कि पुलिस उपायुक्त ने सभी वाम संगठनों का नाम लिया लेकिन एबीवीपी का नाम इसमें नहीं था.''


'फर्जी वीडियो के आधार पर फंसाया जा रहा है'


जेएनयूएसयू ने कहा कि उन्होंने (पुलिस उपायुक्त) ने योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल के नाम को 'निष्पक्षता का ढोंग दिखाने' के लिए लिया जिसे कोई गंभीरता से नहीं लेगा.


बयान में कहा गया है कि पहचाने गए लोगों में से अधिकतर प्रगतिशील संगठनों से जुड़े हैं जो हिंसा का शिकार हुए. उन्हें एबीवीपी की ओर झुकाव रखने वाले फेसबुक और व्हाट्सएप समूहों से छेड़छाड़ की हुई और फर्जी वीडियो के आधार पर हिंसा में फंसाया जा रहा है.


जेएनयूएसयू ने आरोप लगाया कि इस पूरी कवायद का मकसद एबीवीपी को बचाना है और 'खासकर पांच जनवरी को दक्षिणपंथी गुंडागर्दी' से ध्यान हटाना है.


जेएनयू: पुलिस द्वारा संदिग्धों के रूप में पहचाने गए AISA के सदस्यों ने कहा जांच में सहयोग करेंगे