JNU को लेकर RTI से हुआ बड़ा खुलासा, 82 छात्रों की नेशनलिटी का नहीं है रिकॉर्ड
JNU में पढ़ने वाले 82 विदेशी छात्रों की नेशनलिटी का यूनिवर्सिटी प्रशासन के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है.कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत कुमार ने RTI के तहत ये जानकारी हासिल की है. इस साल 301 विदेशी छात्रों ने JNU में एडमिशन लिया है. जिसमें से 82 छात्र ऐसे हैं जिनकी नेशनलिटी का कोई रिकॉर्ड नहीं है.
नई दिल्ली: अलग अलग विवादों को लेकर सुर्खियों में रहने वाले दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कार्यप्रणाली पर एक बड़ा खुलासा हुआ है. जेएनयू में पढ़ने वाले करीब 82 छात्र ऐसे हैं जिनकी नेशनेलिटी के बारे में खुद जेएनयू को भी नहीं पता है. इस मामले को लेकर जेएनयू प्रशासन के साथ-साथ देश की सुरक्षा पर भी सवाल उठ रहा है.
दरअसल जेएनयू यूनिवर्सिटी में 82 विदेशी छात्र ऐसे हैं जिनकी नेशनलिटी का रिकॉर्ड जेएनयू प्रशासन के पास नहीं हैं. ये छात्र किस देश से हैं इसका जवाब यूनिवर्सिटी के पास नहीं है. ये छात्र यूनिवर्सिटी के 41 अलग-अलग ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट, पीएचडी, एम फील जैसे विभागों में पढ़ाई कर रहे हैं. कोटा के सामाजिक कार्यकर्ता सुजीत स्वामी को सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में ये खुलासा हुआ है.
सुजीत ने RTI दायर कर यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कुल विदेशी छात्रों की संख्या, किस कोर्स में रजिस्टर्ड हुए हैं और किस देश के कितने छात्र हैं, की सूचना मांगी थी. जिसके जवाब में यूनिवर्सिटी ने बताया, "विदेशी छात्रों की सूचि जो की वर्तमान के मानसून 2019 और विंटर सेशन 2020 में दर्ज हुई है, उसमें 301 विदेशी छात्र हैं. ये विदेशी छात्र यूनिवर्सिटी के 78 अलग-अलग विभागों में पढ़ रहे हैं. सूचना में बताया गया, इन 301 छात्रों में से 219 छात्र तो 47 अलग-अलग देशों से आए हैं, जिनमें कोरिया, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, सीरिया, चीन, जर्मनी, नेपाल हैं, लेकिन 82 छात्र ऐसे हैं जिनकी नेशनलिटी के नाम पर यूनिवर्सिटी प्रशासन ने "रिकॉर्ड नॉट अवेलबल "बताया है.
यह 82 छात्र किस-किस विभाग में पढ़ रहे हैं इसकी सूचना भी प्रशासन के पास है, लेकिन इनकी नेशनलिटी का कोई रिकॉर्ड नहीं है. ये छात्र यूनिवर्सिटी के अलग-अलग 41 विभागों में पढ़ रहे हैं, जिसमें सबसे ज्यादा 9 विद्यार्थी एमऐ सोशियोलॉजी में पढ़ रहे हैं. यूनिवर्सिटी में 301 विदेशी छात्रों के आंकड़ों में सबसे ज्यादा 82 छात्र ऐसे है जिसकी नेशनलिटी का रिकॉर्ड नहीं है, जबकि उसके बाद दूसरे नंबर पर कोरिया के 35 छात्र, नेपाल से 25, चीन से 24, अफगानिस्तान से 21, सीरिया से 7, बांग्लादेश से 8 छात्र जेएनयू में पढ़ाई कर रहे हैं.
इसके अलावा सुजीत ने यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले कुल छात्रों की संख्या प्रोग्राम के अनुसार भी जाननी चाही. जिसमें भी बड़ी बात निकल कर सामने आयी की यूनिवर्सिटी में अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में पढ़ने वाले छात्रों का प्रतिशत कुल पढ़ने वाले छात्रों के प्रतिशत से बहुत ही कम है. यूनिवर्सिटी में सभी पांचो प्रोग्राम ( एम फिल, पीएचडी, पोस्ट ग्रेजुएट, अंडर ग्रेजुएट, पार्ट-टाइम, एम टेक ) के विद्यार्थियों की कुल संख्या 8805 है. जिसमें से सिर्फ 1264 छात्र ही अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम में पढ़ाई कर रहे हैं. जो की कुल छात्रों की संख्या का सिर्फ 14.35 फीसदी है जबकि सबसे ज्यादा एम फिल, पीएचडी प्रोग्राम में पढ़ रहे हैं. एम फिल, पीएचडी में 4251 छात्र अध्यनरत हैं, जो की कुल छात्रों की संख्या का 48.27 प्रतिशत है, जबकि पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम में 2877, पार्ट टाइम प्रोग्राम में 282 और एम टेक में 131 छात्र पढ़ाई कर रहे हैं.
सामाजिक कार्यकर्त्ता सुजीत स्वामी का कहना है, "उनका इस तरह के डाटा लेने के पीछे का उद्देश्य देश की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी जेएनयू में पढ़ने वाले बाहरी छात्रों की संख्या, किस देश से कितने विद्यार्थी आए हैं और ग्रेजुएट कोर्स में पढ़ने वाले छात्रों की संख्या जानना था. क्योंकि जेएनयू में पिछले कुछ सालों से फ्री कश्मीर के नारे, आजादी के नारे और देश विरोधी गतिविधियां हो रही हैं, जिसमे छात्रों का शामिल होना चिंताजक है. लेकिन जब ये आंकड़े सामने आए तो यह परेशान करने वाली बात है कि जेएनयू में पढ़ने वाले ये 82 छात्र किस देश के नागरिक हैं. ये छात्र क्यों आए, इनका क्या मकसद है."
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