नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कार्यकारी समिति ने बुधवार शाम हॉस्टल शुल्क और दूसरी शर्तों को वापस लेने की घोषणा की. यह घोषणा दिल्ली पुलिस और जेएनयू के प्रदर्शनकारी छात्रों के बीच हुए संघर्ष के बाद की गई. समिति ने आर्थिक रूप से कमजोर तबके के छात्रों के लिए आर्थिक सहायता की योजना का भी प्रस्ताव किया. शिक्षा सचिव आर. सुब्रह्मण्यम ने ट्वीट किया, "कक्षाओं में वापस जाने का समय आ गया है. "


इसके साथ ही आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा, "छात्रों ने मंत्री से मुलाकात की और उन्होंने आंशिक रूप से शुल्क वृद्धि को वापस लिए जाने का भरोसा दिया. हम चाहते हैं कि छात्र अकादमी में लौटें और प्रदर्शन बंद हो."


मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के सूत्रों ने तर्क दिया कि कोई भी व्यवस्था को डरा नहीं सकता, क्योंकि उन्हें चीजें हमेशा के लिए मुफ्त नहीं दी जा सकती. पचास सालों से मुफ्त में मिल रहीं चीजों को रातोंरात नहीं बदला जा सकता. विश्वविद्यालय को क्रियाशील बनाए रखना है और हक के लिए विरोध की संस्कृति को इजाजत नहीं दिया जा सकता.


सुब्रह्मण्यम ने कहा कि मंत्रालय ने शांति के लिए कदम को वापस ले लिया है. उन्होंने कहा, "अपने स्थापना के समय से यह विश्वविद्यालय व्यवस्था विरोधी रुख का केंद्र रहा है. यह बीजेपी विरोधी या एक्सवाईजेड विरोधी नहीं है. यह इनका सिद्धांत है. लेकिन मैं आपको भरोसा देता हूं कि समय के साथ आप बहुत से बदलाव देखेंगे, कुलपति कई मोर्चो पर काम कर रहे हैं."


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