नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी हिंसा मामले में नौ संदिग्ध की तस्वीर जारी की है. इसमें से सात लेफ्ट और दो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं. इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि पुलिस सच्चाई को सामने लायी, यह स्पष्ट है कि वामपंथी छात्र संगठन हमले में शामिल थे. सीपीआई, सीपीआईएम, आप जैसे दलों को लोकसभा चुनाव में खारिज कर दिया गया, अब वे अपने निहित स्वार्थों के लिए छात्रों का उपयोग कर रहे हैं. एबीवीपी को बदनाम करने के लिए दुर्भावनापूर्ण अभियान शुरू किया गया लेकिन दिल्ली पुलिस ने स्थिति स्पष्ट की. जेएनयू के छात्रों को अपना आंदोलन समाप्त कर शैक्षणिक सत्र शुरू होने देना चाहिए.


केंद्रीय प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ''आज की पुलिस कांफ्रेंस ने स्थापित कर दिया कि पिछले 5 दिनों से जो कहा जा रहा था कि इस हिंसा में एबीवीपी, भाजपा और अन्य लोग दोषी है लेकिन यह बात सच नहीं थी. यह वामपंथी संगठन हैं जिन्होंने सोची समझी हिंसा, सीसीटीवी और सर्वर नष्ट किया.''



बता दें कि जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने जिन नौ संदिग्धों की तस्वीर शामिल की है उसमें पंकज मिश्रा, आईशी घोष, वास्कर विजय, सुचेता तालुकदार, चुनचुन, कुमार, डोलन सामंता, प्रिया रंजन, योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल के नाम शामिल हैं. आईशी घोष जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष हैं. वहीं योगेंद्र भारद्वाज और पंकज मिश्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हुए हैं. पुलिस ने साफ किया कि अभी तक उन्होंने किसी भी संदिग्ध को हिरासत में नहीं लिया है लेकिन वे जल्द ही पूछताछ शुरू करेंगे.


पुलिस ने कहा कि अबतक की जांच में तीन केस दर्ज किए गए हैं. क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टिर्की ने बताया कि चार लेफ्ट छात्र संगठन के सदस्यों ने रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को रोकने की कोशिश की और छात्रों को डराया-धमकाया. चार छात्र संगठनों में उन्होंने एसएफआई (स्टूडेन्ट फेडेरेशन ऑफ इंडिया), एआईएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडेरेशन), एआईएसए (ऑल इंडिया स्टूडेंटन फेडेरेशन) और डीएसएफ (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडेरेशन) का नाम लिया.


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