नई दिल्ली : जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के 90 फीसद से अधिक शिक्षकों ने आज एक जनमत संग्रह में कुलपति जगदीश कुमार को हटाने की मांग के पक्ष में वोट डाला. जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि बाहरी पर्यवेक्षकों की निगरानी में हुआ यह जनमत संग्रह बताता है कि वर्तमान कुलपति को अपने पद पर नहीं रहना चाहिए. इसने कहा कि जेएनयू शिक्षकों के 93 फीसद हिस्से ने जनमत संग्रह में कुलपति के विरोध में मतदान किया.


एसोसिएशन ने कहा ने कहा कि जेएनयू के 586 सूचीबद्ध शिक्षकों में से 300 वोट डालने पहुंचे. उनमें से 279 ने कुलपति को हटाये जाने के पक्ष में वोट डाला. आठ शिक्षकों ने वीसी के समर्थन में वोट किया. एसोसिशन ने वर्तमान प्रशासन पर भय का माहौल पैदा करने तथा अकादमिक मुद्दों पर असंतोष प्रकट करने पर खास शिक्षकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया.


रेफरेंडम में हाइर एजुकेशन फाइनेंसिंग एजेंसी (एचईएफए) से यूनिवर्सिटी के लोन लेने पर भी लोगों की राय ली गई. इसमें 96 फीसदी शिक्षकों ने लोन लेने के खिलाफ में वोट किया और चार ने इसके पक्ष में अपना समर्थन दिया. यूनिवर्सिटी एचईएफए से कैंपस में इंजीनियरिंग स्कूल हॉस्टल बनाने के लिए लोन लेना चाहता है. इसी के विरोध में टीचर्स ने खिलाफ में वोट किया.


जेएनयूटीए ने कहा कि कैंपस में भय का माहौल बनाए जाने के बाद भी इतने शिक्षकों का वोट करने आना सुखद है. एसोसिएशन ने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर अब टीचर को व्यक्तिगत रूप से टारगेट करने का आरोप लगाया है.


रेफरेंडम के लिए एसेसिएशन ने बाहरी ऑब्जर्वर में भूगोलशास्त्री एमएच कुरैशी, वैज्ञानिक पीके यादव, अर्थशास्त्री अरूण कुमार और लेखक चमन लाल, यूनिवर्सिटी के सभी रिटायर्ड प्रोफेशर
और यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन के सभी पूर्व अध्यक्ष को बुलाया गया था.


रेफरेंडम यूनिवर्सिटी टीचर एसोसिशन का वीसी और प्रशासन के खिलाफ लगातार किए जा रहे विरोध का ही हिस्सा है.