JNUSU का आरोप, VC ने अभी तक नहीं छोड़ा IIT का क्वार्टर, 90 हजार की जगह देते हैं सिर्फ 1200
छात्रों का कहना है कि बढ़ी हुई फीस लागू होने के बाद जेएनयू देश की सबसे महंगी यूनिवर्सिटी बन जाएगी. बता दें कि जेएनयू के छात्र के कई महीने से बढ़ी हुई हॉस्टल फीस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.
नई दिल्ली: दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी इस वक्त पूरे देश में चर्चा का विषय बनी हुई है. फीस बढ़ोतरी के खिलाफ आंदोलन कर रहे छात्र अपनी मांगों पर अड़े हैं. इस बीच छात्रों पर की गई नकाबपोशों की हिंसा के बाद एक बार फिर जेएनयू ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा है. इस पूरे मामले को लेकर दिल्ली पुलिस की जांच जारी है.
इस पूरे विवाद के बीच छात्र यूनिवर्सिटी के वीसी एम जगदीश कुमार को भी हटाने मांग कर रहे हैं. छात्रों और जेएनयू से शिक्षक संघ का कहना है कि वीसी को पद से हटाया जाए. बीजेपी के इस्तीफे की मांग के बीच जेएनयू छात्र संघ ने कुलपति जगदीश कुमार पर गंभीर आरोप लगाया है. छात्रों ने दावा किया है कि एक ओर विश्वविद्यालय छात्रों के हॉस्टल की फीस बढ़ा रहा है वहीं दूसरी तरफ वीसी ने खुद दो सरकारी घर ले रखे हैं.
जेएनयू छात्र संघ ने ट्वीट कर दावा किया, ''वीसी ने जेएनयू कैंपस में घर मिलने होने के बावजूद आईआईटी दिल्ली में भी सरकारी घर को अपने पास रखा है. इससे इंस्टीट्यूट का खर्च बढ़ता है जो टैक्स के पैसे से चलते हैं. आईआईटी दिल्ली में सिर्फ 300 घर हैं और 500 फैकल्टी. ऐसे में इंस्टीट्यूट कई फैकल्टी को घर देने में नाकाम रहता है. ऐसे में उन्हें हौजखास और आस पास के इलाके में लाखों रुपये खर्च कर किराए पर घर लेना पड़ता है.''
एक दूसरे ट्वीट में जेएनयू छात्र संघ ने लिखा, ''कुमार का आईआईटी के बेहद कम किराए वाले क्वार्टर को अपने पास रखना जेएनयू में हॉस्टल की फीस बढ़ाने के उनके फैसले के बिल्कुल विपरीत है.'' छात्र संघ की ओर से यह भी कहा गया कि जेएनयू की वंचित परिवार के छात्रों की मदद करने की प्रतिष्ठा के खिलाफ है.
छात्रसंघ ने लिखा, ''कुलपति ने आईआईटी का जो घर अपने पास रखा है, उसका मार्केट रेन्ट 90,000 रुपये है. लेकिन वीसी महज 1200 रुपये महीने मामूली किराया चुकाते हैं. उन्होंने इसे अनैतिक तौर से अपने पास रखा है. वीसी को टैक्सपेयर्स का पैसा क्यों बर्बाद करने दिया जा रहा है?''
बता दें कि जेएनयू के छात्र के कई महीने से बढ़ी हुई हॉस्टल फीस के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. छात्रों का कहना है कि बढ़ी हुई फीस लागू होने के बाद जेएनयू देश की सबसे महंगी यूनिवर्सिटी बन जाएगी. इसके साथ ही बढ़ी फीस का विरोध करने वाले छात्रों का तर्क है कि करीब 40% गरीब छात्र अपनी फीस नहीं चुका पाएंगे.