JNU मामला: कोर्ट ने नहीं दी केस चलाने की इजाजत, पुलिस से पूछा- चार्जशीट दाखिल करने की जल्दबाजी क्या थी?
पुलिस ने अदालत को बताया कि मंजूरी मिलने में दो से तीन महीने लगेंगे. अदालत ने इस मामले से जुड़े पुलिस उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी है.
नई दिल्ली: दिल्ली की जवाहरलाल नेहरु युनिवर्सिटी के देशद्रोह मामले में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस से पूछा है कि उसने चार्जशीट दाखिल करने के लिए इतनी जल्दबाजी क्यों की थी? इससे पहले दिल्ली पुलिस ने अदालत को बताया कि जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य के खिलाफ 2016 के राजद्रोह के एक मामले में मुकदमा चलाने के लिए अधिकारियों से अभी तक जरूरी अनुमति नहीं मिली है.
दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को कुमार और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें कहा गया था कि जेएनयू परिसर में नौ फरवरी 2016 को एक कार्यक्रम के दौरान जेएनयू छात्रसंघ के तत्कालीन अध्यक्ष एक जुलूस का नेतृत्व कर रहे थे और उन्होंने देश विरोधी नारेबाजी का समर्थन किया था.
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दीपक सहरावत ने पुलिस से कहा कि वह मंजूरी हासिल करने के बाद आरोप पत्र दाखिल कर सकती थी. जज ने कहा, ‘‘आप (पुलिस) मंजूरी हासिल करने के बाद इसे दायर कर सकते थे. जल्दबाजी क्या थी? मैं मामले में आगे बढ़ सकता हूं.’’ पुलिस ने अदालत को बताया कि मंजूरी मिलने में दो से तीन महीने लगेंगे. अदालत ने इस मामले से जुड़े पुलिस उपायुक्त से भी रिपोर्ट मांगी है. मामले पर अगली सुनवाई 29 मार्च को की जाएगी.
अदालत ने पूर्व में कुमार और जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, अनिर्बान भट्टाचार्य सहित अन्य आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये मंजूरी हासिल करने के लिए तीन सप्ताह का समय देते हुये पुलिस से संबंधित अधिकारियों को प्रक्रिया को तेज करने को कहने का निर्देश दिया था.
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