नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कहा कि करीब दो साल पहले जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) से छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले की जांच उसने बंद करने का फैसला किया है. जांच एजेंसी के इस रुख का अहमद की मां के वकील ने विरोध करते हुए कहा कि यह राजनीतिक मामला है और सीबीआई अपने आकाओं के दबाव के सामने झुक गई है.


सीबीआई का यह रुख अहमद की मां की 2016 की अर्जी पर सुनवाई के दौरान सामने आया. याचिका में कोर्ट से पुलिस को नजीब का पता लगाने का निर्देश दिए जाने का अनुरोध किया गया था. जज एस मुरलीधर और विनोद गोयल की पीठ ने इस याचिक पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया.


माही-मांडवी छात्रावास से हुआ था लापता
अहमद 15 अक्तूबर, 2016 को जेएनयू के माही-मांडवी छात्रावास से लापता हो गया था. इससे एक रात पहले उसका कुछ विद्यार्थियों से झगड़ा हुआ था जिनका संबंध कथित रुप से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से था.


सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील ने कहा कि जांच एजेंसी ने अबतक कोर्ट के समक्ष क्लोजर रिपोर्ट नहीं दाखिल की है तथा वह पहले यह बात हाई कोर्ट के संज्ञान में लाना चाहती है. उसने दिल्ली पुलिस द्वारा छोड़े गए बाकी कोणों से भी इस मामले की जांच की और उसकी जांच पूरी हो गई है. सीबीआई के वकील ने कहा कि आज की स्थिति में सीबीआई नहीं मानती है कि लापता व्यक्ति द्वारा कोई अपराध किया गया.


आरोपियों के साथ पक्षपात कर रही है CBI
सीबीआई के रूख का विरोध करते हुए वरिष्ठ वकील कालिंस गानसाल्वेज ने कहा, "इस मामले में सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद करना मुश्किल है क्योंकि वह आरोपियों के साथ पक्षपात कर रही है चूंकि इस मामले में संदिग्ध एबीवीपी कार्यकर्ता हैं. इस बात की आशंका थी कि केन्द्र सरकार आरोपियों का बचाव करेगी और संदेह सही साबित हुआ. यह राजनीतिक मामला है."


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