नई दिल्ली: देश के मशहूर विश्वविद्यालयों में से एक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर से चर्चाओं में है. इस मामला है यूनिवर्सिटी प्रशासन और छात्रों के बीच. प्रशासन द्वारा बढ़ाई गई फीस को वापस लेने के लिए छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन इन सब के बीच उन छात्रों की मुश्किलों में और भी इजाफा हो गया जो कि जेएनयू से निकलकर अपने जिंदगी में कुछ करना चाहते हैं.


दरअसल यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा बढ़ाई गई फीस से सभी छात्र परेशान हैं. ये समस्या जेएनयू में पढ़ने वाले किसी एक छात्र की नही है. एक इंटरनल सर्वे के मुताबिक जेएनयू में पढ़ने वाले करीब 40 परसेंट छात्र बेहद गरीब परिवार से आते हैं. कुछ करने का जुनून और मेधावी होने के चलते ये यहां आ जाते है. बिहार प्रदेश के गया के रहने वाले रूपेश का कहना है की जेएनयू तो गरीब छात्रो को पंख देता था. लेकिन अब हमारे ये पंख ही कुतर दिए गए है.


रूपेश ने बताया की उनके पिता मंटू शर्मा किसान हैं. किसानी भी इतनी की अपना पेट भी भरना मुश्किल होता है. ये दिल्ली आ गए, फिर एक कॉल सेन्टर में काम किया लेकिन पढ़ने की चाह थी, मेधावी भी थे. इसलिए बीए अरेबिक लैंग्वेज में एडमिशन लिया. यूनिवर्सिटी से दो हजार रुपए स्कॉलरशिप के मिल जाते हैं. पिता जी 1 हजार रुपए महीना जैसे तैसे भेज देते थे. ऐसे 3 हजार रुपए में होस्टल, मेस और दूसरे खर्चे निकाल लेते थे लेकिन अब ये संभव नहीं. क्योंकि करीब 5 हजार रुपए महीने का खर्चा बढ़ गया है. पिता जी ने कह दिया है की वापस आ जाओ. या कोई नौकरी ढूंढो. आगे की पढ़ाई का खर्चा नहीं उठा सकते.


रूपेश कुमार 22 साल


गया, बिहार


पिता मंटू शर्मा, किसान


घर में पिता के अलावा मां और छोटा भाई है


JNU में बीए लैंग्वेज अरेबिक की पढ़ाई


पहले का खर्च 2500 से 3 हजार प्रति माह


अब का खर्च 8 से 9 हजार प्रति माह


इन फीस में हुई है बढ़ोतरी


बता दें कि जेएनयू प्रशासन ने जिन फीस में बढ़ोतरी की है उनमें वन टाइम सिक्योरिटी चार्ज (रिफंडेबल) फीस, सर्विस चार्ज और रूम रेंट (सिंगल और डबल प्रमुख) हैं. वन टाइम सिक्योरिटी चार्ज (रिफंडेबल) फीस जो कि पहले 5500 रुपये थी उसे बढ़ाकर अब 12 हजार रुपये कर दिया गया है. इसी के साथ सर्विस चार्ज की बात करें तो यह पहले शून्य था लेकिन इसे अब बढ़ाकर 1700 रुपये महीने कर दिया गया है.


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