जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा- दिल्ली पुलिस और JNU प्रशासन ABVP के साथ मिले हुए हैं
जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि गाड़ी के पीछे ले जाकर मुझ पर डंडे और रॉड से वार किया गया. साथ ही उन्होंने जेएनयू प्रशासन और दिल्ली पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए.
नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने 5 जनवरी को जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस, एबीवीपी और जेएनयू प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. आइशी घोष और छात्रसंघ के उनके अन्य सहयोगियों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए आरोप लगाया कि 5 जनवरी की हिंसा पूर्व नियोजित थी. जिसकी साजिश में दिल्ली पुलिस और जेएनयू प्रशासन एबीवीपी के साथ मिले हुए हैं.
आइशी ने कहा कि यही कारण है कि पुलिस छात्रों को पीटते हुए देखती रही और बाहर से आये चेहरा ढंके हमलावरों को भागने दिया गया. आइशी ने पेरियार होस्टल के वार्डन पर भी हिंसा में शामिल होने और एबीवीपी का साथ देने का आरोप लगाया. आइशी ने कहा कि मुझे लगभग 20 से ज्यादा हमलावरों ने बुरी तरीके से पीटा.
आइशी ने कहा कि गाड़ी के पीछे ले जाकर मुझ पर डंडे और रॉड से वार किया गया. मैं इतनी डरी हुई थी कि मुझे लग रहा था शायद आज बच पाना मुश्किल है, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस उन हमलावरों की पहचान ना करते हुए मुझे और छात्र संघ के मेरे साथियों को ही आरोपी बनाकर जांच पूरी करने की सोच रही है.
उन्होंने कहा कि 5 जनवरी को जब हिंसा हुई थी तो छात्र संघ के अध्यक्ष होने के नाते यह मेरा फर्ज था कि मैं अपने सहपाठियों को और कैंपस में पढ़ने वाले छात्रों को सुरक्षित रखने की भूमिका निभाऊं. इसलिए मैं पेरियार हॉस्टल के नजदीक गई थी, लेकिन वहां पर इस तरीके से फोटो और वीडियो बनाकर आगे पेश किए गए जैसे कि हम ही हिंसा करने के लिए वहां पहुंचे हों.
सिर्फ वीडियो और फोटो के आधार पर ही हमें आरोपी कैसे बनाया जा सकता है. आईशी ने बीजेपी के आईटी सेल को भी आरोप के घेरों में लेते हुए कहा कि आईटी सेल वीडियो और फोटो के साथ छेड़छाड़ करके भ्रम की स्थिति पैदा करती है और दिल्ली पुलिस उन्हीं की वीडियो और फोटो पर अपनी जांच को आगे बढ़ा रही है.
हमें पीटा गया और हमें ही अब आरोपी बनाया जा रहा है जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव सतीश यादव ने दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस अपना काम सही तरीके से नहीं कर रही है. 5 जनवरी को हुई हिंसा में एबीवीपी और उनके गुंडों ने कैंपस में हमारे साथ मारपीट की. हमें लहूलुहान किया और अब दिल्ली पुलिस हमें ही आरोपी बना रही है. यह सब एक सोची समझी साजिश का हिस्सा है. 5 तारीख को बाहर के लोगों को कैंपस में घुसाया गया और सुनियोजित तरीके से स्ट्रीट लाइट को भी बंद किया गया.जिसके बाद हिंसा की गई.
अब पुलिस अपनी जांच में जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारियों को ही आरोपी बनाने में जुट गई है. हमने दिल्ली पुलिस को कई ऐसे वीडियो भी दिखाएं हैं, जिसमें नकाबपोश गुंडे गेट से कैंपस की ओर अंदर घुसते दिख रहे हैं, जिनके हाथों में डंडे और रॉड आदि साफ नजर आ रहे हैं लेकिन पुलिस कुछ भी नहीं कर रही है.
सर्वर खराब बहाना है आइशी ने कहा कि जेएनयू प्रशासन और जेएनयू के वीसी यह कह रहे हैं कि सर्वर को हम लोगों ने खराब कर दिया था या तोड़ दिया था. जो सरासर गलत है. अगर हम लोगों ने सर्वर के साथ कोई छेड़छाड़ की होती या तोड़ दिया होता तो फिर 5 तारीख को ग्रुप मेलिंग से हमें ईमेल कैसे मिले. इतना ही नहीं खुद वीसी ने बताया कि 4 तारीख को भी रजिस्ट्रेशन जारी था.
अगर सर्वर खराब होता तो फिर रजिस्ट्रेशन कैसे हुए? असल कारण यह है कि प्रशासन कैंपस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज सार्वजनिक नहीं करना चाह रहा है और सर्वर खराब होने का बहाना बना रहा है और आरोप हमारे ऊपर लगा रहा है.
वीसी इस्तीफा दें आइशी ने कहा कि वीसी को इस्तीफा देना ही होगा. हम लगातार उनके इस्तीफे की मांग करते रहेंगे. मानव संसाधन मंत्रालय ने भी यह कहा था कि जेएनयू में चल रहे विरोध को खत्म करने के लिए दोनों तरफ से कदम आगे बढ़ाने चाहिए. हमने कदम आगे बढ़ाए लेकिन वीसी और प्रशासन की तरफ से किसी तरह का कोई प्रयास नहीं किया गया.
आज सुबह भी वीसी ने हमें बगैर बुलाए या बगैर सूचना दिए कुछ छात्रों के साथ मीटिंग कर ली और इस बारे में सार्वजनिक तौर पर यह जानकारी दी कि उन्होंने छात्रों के साथ मीटिंग की, जबकि छात्र संघ के पदाधिकारियों को इसकी कोई सूचना तक नहीं दी गयी. वीसी सही तरीके से काम नहीं कर रहे है. इसके अलावा फीस बढ़ोतरी को लेकर हम विरोध करते रहेंगे.
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