नई दिल्लीः एबीपी न्यूज़ ने पहले ही बताया था जेएनयू हिंसा की साजिश व्हाट्सएप के जरिए रची गई थी और अब इस खबर पर क्राइम ब्रांच ने भी मुहर लगा दी है. शुक्रवार को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने जेएनयू हिंसा के मामले में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस ने 9 संदिग्धों के फोटो जारी किए जिसमें से 2 छात्र एबीवीपी के हैं बाकी सभी लेफ्ट पार्टियों से संबंध रखते हैं. इतना ही नहीं क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टर्की ने यह भी बताया कि हिंसा वाले दिन शाम को करीब 5:30 बजे व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया गया था जिसका नाम यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट रखा गया था. इस ग्रुप को बनाने वाला कोई और नहीं बल्कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मेंबर योगेंद्र भारद्वाज है. योगेंद्र भारद्वाज ने इस ग्रुप में 60 लोगों को ऐड किया था.


दरअसल जेएनयू प्रशासन ने यह तय किया था कि 1 जनवरी से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे लेकिन लेफ्ट पार्टी के कुछ संगठन रजिस्ट्रेशन का विरोध कर रहे थे और ये विरोध अभी से नहीं बल्कि अक्टूबर से ही हो रहा था, क्योंकि जेएनयू में फीस बढ़ोतरी को लेकर लगातार स्ट्राइक चल रही थी और लेफ्ट पार्टी के स्टूडेंट्स नहीं चाहते थे कि कोई भी रजिस्ट्रेशन करे. ये चार संगठन स्टूडेंट्स फ्रंट ऑफ इंडिया, आल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन, आल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन थे.


इस तरह हुआ सारा घटनाक्रम
3 जनवरी दोपहर करीब 1:00 बजे इन चारों संगठनों के छात्र उस सर्वर रूम के अंदर पहुंचे जहां पर छात्रों को अपना रजिस्ट्रेशन करना था और इन्होंने सर्वर रूम में तोड़फोड़ की. जब सिक्योरिटी गार्ड ने इन्हें रोकने की कोशिश की तो इन लोगों ने सिक्योरिटी गार्ड तक की पिटाई कर दी और जो सर्वर चल रहा था उसको बंद कर दिया. पुलिस ने यह भी बताया कि एक बार सर्वर बंद हो जाने के बाद री स्टार्ट होने में काफी समय लेता है हालांकि 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद जेएनयू प्रशासन ने सर्वर को रीस्टार्ट कर दिया और सर्वर रूम में तोड़फोड़ की शिकायत दिल्ली पुलिस में दर्ज करवाई. इस मामले में पुलिस ने 8 लोगों पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी.


पुलिस ने ये भी बताया कि लेफ्ट के संगठनों से जुड़े छात्रों को जेएनयू प्रशासन की ये बात नागवार गुजरी. वह चाहते थे कि कोई भी छात्र रजिस्ट्रेशन ना कर पाएं इसलिए अब उन्होंने 4 जनवरी का दिन चुना. पुलिस के मुताबिक पहले इन छात्रों ने सुबह सर्वर रूम में घुसने की कोशिश की लेकिन जब सुबह यह नहीं घुस पाए तो दोपहर में यह लोग सर्वर रूम के अंदर शीशा तोड़कर पीछे की तरफ से दाखिल हुए. पूरे सर्वर रूम को बुरी तरह से डैमेज कर दिया. सर्वर रूम को इतनी बुरी तरह से तोड़ा गया कि वहां पर सब काम ठप हो गया, इस मामले में भी एफआईआर दर्ज की गई.


क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टर्की की मानें तो 5 जनवरी की सुबह करीब 11:30 बजे जेएनयू के 4 छात्र रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए परेशान घूम रहे थे. वह स्कूल ऑफ सोशल साइंस के सामने एक बेंच पर बैठे थे तभी एक ग्रुप में आकर पहले उन छात्रों को घेरा और फिर उनके साथ मारपीट की. इतना ही नहीं जब सिक्योरिटी गार्ड्स ने इन छात्रों को बचाने की कोशिश की तो उनके साथ भी धक्का-मुक्की की गई सिक्योरिटी गार्ड को भी चोट आई.


इसके बाद दोपहर करीब 3:45 पर इन्हीं चारों संगठन के लोगों ने अचानक से पेरियार हॉस्टल पर अटैक कर दिया, हॉस्टल में तोड़फोड़ की गई और छात्रों की पिटाई भी की गई. कुछ लोगों ने नकाब पहना था और कुछ खुले चेहरे थे. इस मामले की जानकारी भी पुलिस को दी गई. पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और जांच शुरू कर दी. घायलों को अस्पताल में भर्ती करवाया गया. इसके बाद टीचर्स एसोसिएशन और छात्रों ने एक पीस मीटिंग बुलाई.


यह मीटिंग साबरमती हॉस्टल के पास टी प्वाइंट पर चल रही थी. तभी लाठी-डंडों से लैस एक नकाबपोश भीड़ वहां पर पहुंची और उस भीड़ ने मीटिंग कर रहे लोगों पर हमला कर दिया. इतना ही नहीं इसके बाद वह साबरमती हॉस्टल के अंदर घुसे और हॉस्टल के कमरों में तोड़फोड़ की. पुलिस के मुताबिक जो भीड़ हमला करने आई थी वह जानती थी कि किस कमरे में जाकर तोड़फोड़ और मारपीट करनी है.


इसके बाद इस पूरे मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की एसआईटी को सौंपी गई. एसआईटी ने जांच करना शुरू की. शुरुआत में एसआईटी के सामने बहुत मुश्किलें आईं. उस मुश्किल की वजह थी क्राइम ब्रांच को जेएनयू कैंपस के अंदर से एक भी सीसीटीवी फुटेज नहीं मिली वह इसलिए क्योंकि सर्वर रूम को तोड़ दिया गया था. पुलिस ने जांच को आगे बढ़ाया.


दरअसल जेएनयू के अंदर एंट्री करने का एक प्रोसेस होता है. अगर आप जेएनयू में जाना चाहते हैं तो आपको किसी स्टूडेंट की पहचान बतानी होगी. उस स्टूडेंट से बात करवानी होगी. उसके बाद ही आप जेएनयू के अंदर दाखिल हो सकते हैं. लिहाजा पुलिस ने एंट्री रजिस्टर अपने कब्जे में लिया और जांच शुरू की. इसके अलावा तमाम जो वीडियो वायरल हो रहे थे पुलिस ने उन वायरल वीडियो का भी पड़ताल शुरू किया. जेएनयू के अंदर मौजूद तमाम छात्र-छात्राओं से पूछताछ की गई. 32 गवाहों के बयान दर्ज किए गए.


इसी जांच दौरान पुलिस को पता चला की जिस दिन जेएनयू में हिंसा हुई उस दिन शाम करीब 5:30 बजे व्हाट्सएप पर एक ग्रुप बनाया गया है. इसे यूनिटी अगेंस्ट लेफ्ट का नाम दिया गया. क्राइम ब्रांच की मानें तो इस ग्रुप का एडमिन योगेंद्र भारद्वाज नाम का जेएनयू का ही छात्र है जो कि एबीवीपी से संबंध रखता है. योगेंद्र भारद्वाज ने इस ग्रुप में 60 लोगों को जोड़ा. पुलिस के सूत्रों की मानें तो क्योंकि ग्रुप करीब 5:30 बजे बना था और जेएनयू के अंदर जो लाठी डंडो से लैस ग्रुप घुसा था वह करीब 7:00 बजे घुसा था तो कहीं ना कहीं पुलिस को लगता है किस ग्रुप के मेंबर इस हिंसा में शामिल थे अब पुलिस इसकी भी जांच कर रही है.


पांच दिनों की अबतक की जांच में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने नौ लोगों की पहचान की है.


विकास पटेल
योगेंद्र भारद्वाज
आईशी घोष- प्रिसिडेंट JNUSU
डोलन सामंता
प्रिया रंजन
सुचेता तालुकदार
वास्कर विजय
चुनचुन कुमार- ex छात्र JNU
पंकज मिश्रा.


दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के मुताबिक जिन 9 संदिग्धों की फोटो पुलिस ने जारी की है उन सभी को जल्दी एक नोटिस दिया जाएगा और उनसे जवाब मांगा जाएगा. पुलिस का कहना है कि जांच अभी जारी है. इस मामले में आने वाले दिनों में कई और खुलासे हो सकते हैं.