नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी मामले को लेकर दिल्ली पुलिस ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस की. दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने कहा कि इस मामले को लेकर गलत जानकारी फैलाई जा रही है. पुलिस ने अभी तक की जांच की जानकारी साझा की. पुलिस ने बताया कि जेएनयू हिंसा मामले में अबतक कुल तीन केस दर्ज किए हैं. इसके साथ ही पुलिस ने संदिग्धों की तस्वीर भी जारी की. इसमें दो संदिग्ध अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के हैं और सात लेफ्ट से जुड़े हैं.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी जॉय टिर्की ने कहा कि जनवरी के महीने में एक तारीख से पांच तारीख के बीच में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जाए, इसको लेकर ऑनलाइन पोर्टल खोला गया. इसके लिए तीन सौ रुपये देने थे. चार छात्र संगठन इसके खिलाफ थे. चार छात्र संगठनों में एसएफआई (स्टूडेन्ट फेडेरेशन ऑफ इंडिया), एआईएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडेरेशन), एआईएसए (ऑल इंडिया स्टूडेंटन फेडेरेशन) और डीएसएफ (डेमोक्रेटिक स्टूडेंट फेडेरेशन) का नाम शामिल है.
जॉय टिर्की ने आगे कहा कि पिछले साल 28 अक्टूबर से ही ये चार छात्र संगठन रजिस्ट्रेशन के खिलाफ थे. ये छात्रों को डरा धमका रहे थे. पुलिस ने कहा कि जांच में पता चला है कि बड़ी संख्या में छात्र रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं लेकिन ये चार छात्र संगठन और उनके सहानुभूति रखने वाले ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
तीन जनवरी एक बजे के आस पास चार छात्र संगठनों के कुछ लोगों ने सर्वर को जबरदस्ती बंद कर दिया. 4 जनवरी को छात्रों ने सर्वर को नुकसान पहुंचाया. 5 तारीख को साढे ग्यारह बजे मारपीट की गई. 5 तारीख को ही पौने चार बजे फिर झगड़ा हुआ.
इसके साथ ही पुलिस ने बताया कि कुछ व्हाट्सएप ग्रुप भी मिले हैं. सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले. वायरल फोटो और वीडियो से काफी मदद मिली है. लोगों से पूछताछ के बाद कुछ लोगों को आइडेंटिफाई किया है. इसमें पंकज मिश्रा, आईशी घोष (जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष), वास्कर विजय, सुचेता तालुकदार, चुनचुन, कुमार, डोलन सामंता, प्रिया रंजन, योगेंद्र भारद्वाज और विकास पटेल के नाम शामिल हैं. योगेंद्र भारद्वाज यूनिटी अगेस्ट लेफ्ट व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन हैं. पुलिस ने कहा कि अब तक किसी भी संदिग्ध को हिरासत में नहीं लिया गया है, लेकिन हम जल्द ही संदिग्धों से पूछताछ शुरू करेंगे. योगेंद्र भारद्वाज और पंकज मिश्रा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हैं. बाकी सात लेफ्ट से जुड़े हैं.
यह भी देखें