JNUSU Vice President Speech News: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में एक बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है. यह विवाद 6 दिसंबर की रात उस समय शुरू हुआ, जब जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने एक स्पीच में कहा कि बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाना चाहिए और बाबरी मस्जिद का इंसाफ होना चाहिए. साकेत मून की इस स्पीच को लेकर जेएनयू एबीवीपी के अध्यक्ष शिवम चौरसिया का कहना है कि बाबरी के विषय में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे दिया है. इसके बाद इस मुद्दे को उठाना कोई औचित्य नहीं रखता. 6 दिसंबर को सिर्फ बाबरी विध्वंस की वजह से ही याद नहीं रखा जाता, बल्कि 6 दिसंबर को बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस भी होता है. बेहतर होता कि बाबरी मस्जिद का विषय उठाने वाले लोग, बाबा साहेब की शिक्षा को याद करते हुए समाज के हित की बात कहते. जेएनयू प्रशासन ने इस विषय पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.


स्पीच दे रहे छात्र का नाम साकेत मून है, जो जेएनयू छात्र संघ का उपाध्यक्ष है. 6 दिसंबर की रात को यूनिवर्सिटी कैंपस में बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी और बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम के दौरान साकेत मून ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद का न्याय होना अभी बाकी है. बाबरी मस्जिद का इंसाफ होना चाहिए, क्योंकि मस्जिद तोड़ने वालों को अभी तक सजा नहीं दी गयी है. जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई है, तो उसे दोबारा से बनाना भी होगा. इसी बयान को लेकर एक बार फिर से विवाद शुरू हो गया है.


जेएनयू में एबीवीपी के अध्यक्ष शिवम चौरसिया ने बयान को लेकर कहा है कि इस तरह के बयान यह लोग जानबूझकर देते हैं, जिससे इनको मीडिया अटेंशन मिल सके. ये लोग समाज में विवाद पैदा करने का काम करते हैं, जबकि 6 दिसंबर की बात करें तो उस दिन बाबासाहेब की पुण्यतिथि भी होती है. इस अवसर पर लोगों की सेवा करके बाबा साहेब की शिक्षाओं का पालन किया जा सकता है, लेकिन ये लोग ऐसा नहीं करेंगे. ये नफरत भरी बातें करके समाज में विवाद पैदा करेंगे. हमने बाबा साहेब की पुण्यतिथि के अवसर पर गरीब बच्चों को पढ़ाया. उनके लिए काम किया. इससे उलट वामदल के ये लोग बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने की बात करते हैं. हम लोग अभी विचार-विमर्श कर रहे हैं कि इस विषय को लेकर जेएनयू प्रशासन और पुलिस से शिकायत की जानी चाहिए या नहीं.


एनएसयूआई समर्थक जेएनयू छात्र सनी धीमान कहते हैं कि कल रात जो स्पीच दी गई है, उसमें कोई भी बुराई नहीं है. स्पीच में यही कहा गया है कि बाबरी मस्जिद का इंसाफ होना चाहिए, क्योंकि बाबरी मस्जिद तोड़ी गई थी. अगर हम 1992 से लेकर आज तक की बात करें तो बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों में से किसी एक को भी सजा नहीं दी गई है. वही अगर मस्जिद तोड़ी गई है तो उसे बनाना भी चाहिए. मैं यह नहीं कहता कि राम मंदिर नहीं बनना चाहिए, लेकिन मस्जिद भी बननी चाहिए और अयोध्या में ही बननी चाहिए.


सोमवार की रात को कार्यक्रम के दौरान बाबरी मस्जिद को लेकर बयान देने वाले जेएनयू छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून से जब हमने संपर्क करना चाहा तो उन्होंने ऑन कैमरा कोई बात नहीं की. साकेत ने मैसेज करके जानकारी दी कि उन्होंने ट्विटर के जरिए अपनी बात रख दी है. ट्विटर पर साकेत ने लिखा कि आरएसएस और बीजेपी के लोग उनकी स्पीच के वीडियो के एक हिस्से को वायरल कर रहे हैं और इसे देश विरोधी बताया जा रहा है. इसलिए मैं खुद पूरा वीडियो शेयर कर रहा हूं, ताकि उसे देख कर समझ सकें कि मैंने क्या और क्यों कहा था? मैंने 1 साल पहले बाबरी मस्जिद तोड़ने वालों को सजा देने की मांग करते हुए एक ऑनलाइन पिटीशन भी दायर की थी. ये बात कोर्ट ने भी मानी है कि बाबरी मस्जिद तोड़ी गयी थी, लेकिन अभी तक तोड़ने वालों को सजा नहीं दी गयी है. मस्जिद तोड़ी गयी है तो बनानी भी चाहिए.






 


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