जोधपुर में फूलों की खेती करने वाले किसानों की बढ़ी मुश्किल, खरीददार नहीं मिलने पर बागान को ट्रैक्टर से रौंदा
जोधपुर जिले में करीब 2000 से भी अधिक एकड़ में फूलों खेती की जाती है, लेकिन इस बार खेती तो हुई पर फूलों के ख़रीददार नहीं है.
नई दिल्ली: कोविड-19 के कहर के चलते ना शादी ना शहनाई ना बारात ,सब कुछ ठप पड़ा है. सिर्फ़ यही नहीं धार्मिक स्थान मंदिर मस्जिद-चर्च और गुरुद्वारे के पट भी बंद हैं. ऐसे में फूलों की खेती करने वाले किसानों के सामने मुश्किल ये कि अपनी फूलों की खेती का क्या करें?
पूरे देश में लॉकडाउन है और इसके चलते सभी लोग अपने घरों मे बंद हैं. जोधपुर के टिंवरी में फूलों की खेती करने वाले किसान देवाराम गहलोत वर्षों से फूलों की खेती कर रहे हैं. यहां के फ़ूल जोधपुर शहर सहित बाहर तक जाते हैं. जोधपुर जिले में करीब 2000 से भी अधिक एकड़ में फूलों खेती की जाती है, लेकिन इस बार खेती तो हुई पर फूलों के ख़रीददार नहीं है.
खेतों में खड़ी फसल में से फूलों की तोड़ाई के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं और मिल रहे हैं तो उसकी मजदूरी भी नहीं निकल पा रही है. आखिरकार किसानों ने परेशान होकर अपनी लहलाती फूलों के बागान को ही ट्रैक्टर से रोंदना शुरू कर दिया है.
मार्च से अप्रैल महीनों में कई धार्मिक त्योहार आते हैं. शादियों की सीजन भी रहती है, इस दौरान किसान के फूलों की बहुत ज्यादा मांग रहती है. इस दौरान उनकी अच्छी कमाई होती है लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते करोड़ों रुपए के नुकसान उठा चुके हैं.
बालरवा के किसान वेद राम परिहार और चावंडाराम परिहार के अनुसार प्रति वर्ष इस महीने गुलाब और हजारा के फूलों से उन्हें एक से डेढ़ लाख रुपए की आय होती है. इस वर्ष एक रुपए के भी फूल नही बिके हैं. खड़ी फसल को भी अब काट रहे है. वेदराम तो फूलों से लकदक खड़ी फसल की गेंहू काटने वाली मशीन व मजदूरों से कटाई करवा रहे हैं. यानि कोविड ने किसानों को उनकी अच्छी फ़सल के बावजूद कमाने लायक़ नहीं छोड़ा.