किसान आंदोलन: आज दोपहर 1 बजे होगी संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक, आगे की रणनीति पर होगा विचार विमर्श
तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर चल रहा किसानों का धरना-प्रदर्शन शनिवार को 53वें दिन में प्रवेश कर गया. वहीं, आज (रविवार) को होने वाली बैठक में किसान 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर रूट प्लान और रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे.
नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर जारी किसान आंदोलन का आज 53वां दिन है. किसान संगठन आज 26 जनवरी को होने वाले ट्रैक्टर मार्च को लेकर रूट प्लान और रणनीति पर विचार विमर्श करेंगे. इसके लिए सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक दोपहर एक बजे होगी.
गौरतलब है कि शुक्रवार को केंद्र सरकार और किसानो के बीच हुई 9वें दौर की बैठक बेनतिजा रही. अब अगली बैठक 19 जनवरी को होगी. तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ शुक्रवार को हुई नौवें दौर की वार्ता में प्रदर्शनकारी किसान तीन नये विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की अपनी मांग पर अड़े रहे जबकि सरकार ने किसान नेताओं से उनके रुख में लचीलापन दिखाने की अपील की एवं कानून में जरूरी संशोधन के संबंध अपनी इच्छा जतायी. विज्ञान भवन में करीब पांच घंटे तक चली बैठक में तीनों केंद्रीय मंत्री किसी निर्णायक स्थिति तक नहीं पहुंच सके.
दिल्ली पुलिस कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा कि 26 जनवरी में अभी समय हैं लेकिन उस दिन वैसे भी विशेष सुरक्षा व्यवस्था रहती है. यानी 26 जनवरी को दिल्ली में किसानों के ट्रैक्टर परेड को लेकर अब तक ना ही किसान संगठनों ने पूरी योजना बताई है ना ही पुलिस ही बता रही है कि अगर परेड को रोका जाएगा तो कैसे? इन सब के बीच गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में ट्रैक्टर परेड को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है.
पीयूष गोयल ने दिया किसानों के सवालों का जवाब
बैठक में खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल ने तीन क़ानूनों में से एक, आवश्यक वस्तु संशोधन क़ानून के बारे में किसानों को विस्तार से बताया और किसानों के सवालों का जवाब दिया. बैठक में किसानों ने हरियाणा में कुछ किसानों पर हुई एफआईआर और पंजाब के कुछ ट्रांसपोर्टरों पर एनआईए (NIA ) की ओर से कार्रवाई करने का भी आरोप लगाया. 8 जनवरी को हुई पिछली बैठक में किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत ख़त्म होने की कगार पर पहुंच गई थी क्योंकि किसानों ने क़ानूनों को वापस लिए जाने पर ही बात करने की शर्त रख दी थी.
यह भी पढ़ें :- महाराष्ट्र में कोरोना के टीकाकरण अभियान पर 18 जनवरी तक रोक, CoWin एप में तकनीकी दिक्कतों के चलते फैसला