भारत और बांग्लादेश की सेनाएं मेघालय में कर रही हैं साझा युद्धभ्यास 'संप्रति', ले रही हैं जंगल वॉरफेयर की खास ट्रेनिंग
संप्रति एक्सरसाइज में दोनों देश की सेनाएं इस बात का भी अभ्यास कर रही हैं कि जंगल में मूविंग ओबजेकट्स यानि अगर दुश्मन भाग रहा हो या अपनी पोजिशन बदल रहा है तो कैसे उसपर सटीक निशाना लगाया जा सके.
उमरोई: एनआरसी और सीएए पर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. सीएए कानून से भारत और बांग्लादेश के संबंधों में तल्खी भी आई है लेकिन इस सबके बीच बांग्लादेश सेना इन दिनों मेघालय की राजधानी, शिलांग के करीब उमरोई में भारतीय सेना के साथ साझा युद्धभ्यास, सम्प्रति कर रही है. इस एक्सरसाइज का मकसद दोनों देशों की सेनाओं का एक साथ जंगल-वॉरफेयर में अभ्यास करना है. एबीपी न्यूज की टीम भी उस दौरान वहां मौजूद है ये बताने के लिए कि संप्रति एक्सरसाइज से दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध एक बार फिर से मजबूत हो सकते हैं.
ये भारत और बांग्लादेश के सैनिक टैक्टिकल पोजीशन में जंगल में दंबे पांव मूव करते हैं. सामने है चार से पांच हट जो किसी आतंकी संगठन का कैंप है लेकिन दोनों देश के सैनिक एक साथ बेहतर कोर्डिनेशन के साथ सामने बने टारगेट्स पर गोलियों की बौछार कर देते हैं. हालांकि ये एक अभ्यास है लेकिन जरूरत पड़ी तो दोनों देश के सैनिक ठीक इस तरह से किसी भी आतंकी या उग्रवादी संगठन के खिलाफ ऑपरेशन कर सकते हैं. ये जंगल वॉरफेयर का माहौल दरअसल मेघालय की राजधानी, शिलांग के बेहद करीब उमरोई ट्रेनिंग सेंटर का हैं जहां भारत और बांग्लादेश की सेनाएं 3 फरवरी से यहां साझा युद्धभ्यास, संप्रति कर रही हैं.
संप्रति एक्सरसाइज में भारत और बांग्लादेश सेना के 170-170 अधिकारी और जवान हिस्सा ले रहे हैं. बांग्लादेश की इंफेंट्री के सैनिक यहां पहुंचे हैं तो भारतीय सेना की बिहार रेजीमेंट के सैनिक हिस्सा ले रहे हैं. युद्धभ्यास के दौरान पहाड़ों और जंगलों में काउंटर-टेरेरिज्म ऑपरेशन्स की तैयारी करना है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बिठाया जा सके इसके लिए कमांड पोस्ट एक्सरसाइज और फील्ड ट्रेनिंग एक्सरसाइज दोनों ही की गई. अभ्यास के दौरान टेक्टिकल फायरिंग से लेकर जंगल रेंज फायरिंग और रूम इंटरवेंशन और कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन का जबरदस्त अभ्यास किया गया. इस दौरान एबीपी न्यूज की टीम को खासतौर से कवरेज के लिए आमंत्रित किया गया है 'एम्बेडेड जर्नलिस्ट' की तरह.
संप्रति एक्सरसाइज में इस बात का भी अभ्यास किया गया कि जंगल में मूविंग ओबजेकट्स यानि अगर दुश्मन भाग रहा हो या अपनी पोजिशन बदल रहा है तो कैसे उसपर सटीक निशाना लगाया जा सके. क्योंकि भारत और बांग्लादेश का एक लंबा बॉर्डर ऐसे ही जंगल और पहाड़ी इलाकों से घिरा है ऐसे में जंगल और सेमी-जंगल एनवायरमेंट में इस एक्सरसाइज को किया जा रहा है.
भारत और बांग्लादेश की सेनाएं यूएन यानि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत इस युद्धभ्यास को कर रही हैं ताकि अगर किसी यूएन पीसकीपिंग मिशन में दोनों देश की सेनाओं को किसी मिशन को करना हो तो वो भी बेहतर समन्वय के साथ कर सकें, इसीलिए रोज सुबह दोनों देशों के सैनिकों की शुरूआत एक लंबी रेस और फिजिकल एक्सरसाइज से होती है. एक दूसरे से बेहतर तालमेल और कम्युनिकेशन ही इस एक्सरसाइज का उद्देश्य है. ये एक्सरसाइज ऐसे समय में हो रही है जब सीएए कानून को लेकर दोनों देशों के रिश्तों में थोड़ी तल्खी आई है. संप्रति का अर्थ ही होता है 'इस समय',
एक्सरसाइज के दौरान दोनों देशों के सैनिकों ने खास तौर से स्नाईपर फायरिंग की प्रैक्टिस की क्योंकि जंगल में किसी आंतकी ठिकाने को नेस्तानबूत करना हो तो उसके कमांडर या मुखिया को निशाना लगाकर दुश्मन के हौसले को कैसे पस्त किया जा सके. इस बारे में खुद भारतीय सेना के कैप्टन पनमंगजाम ने जानकारी दी.
जंगल वॉरफेयर के दौरान किस तरह से सैनिकों को जंगल में 'इनसर्ट' किया जा सके इसके लिए वायुसेना के हेलीकॉप्टर्स की मदद भी ली गई. इन हेलीकॉप्टर्स की मदद से सैनिकों को जंगल के करीब उतार दिया जाता है और फिर सैनिक पैदल ही टेक्टिकल मूवमेंट करते हुए दुश्मन पर जबरदस्त हमला बोलते हैं. शनिवार को इस एक्सरसाइज का वैलिडेशन है यानि पिछले दो हफ्ते में जितना दोनों देशों के सैनिकों ने अभ्यास किया है वो अपने देश के वरिष्ट सैन्य कमांडर्स की मौजूदगी में दिखाना है.
आपको बता दें कि दोनों देशों के बीच ये नौवीं एक्सरसाइज है जो एक साल भारत में होती है और एक साल बांग्लादेश में. दोनों पड़ोसी देशों के बीच में रक्षा क्षेत्र में सहयोग में ये एक अहम एक्सरसाइज है. 1971 की जंग में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को हराकर बांग्लादेश को एक राष्ट्र के तौर पर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.