वक्फ संशोधन बिल पर JPC को मिले AI जेनरेटेड रिएक्शन, अब तक आ चुके हैं 96 लाख ईमेल
Waqf Amendment Bill: सांसद जगदंबिका पाल के नेतृत्व में पैनल 26 सितंबर से 1 अक्टूबर तक महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा.
Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ संशोधन बिल को लेकर संयुक्त संसदीय समिति को करीब 96 लाख से ज्यादा ईमेल मिले हैं. इस बीच एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन ईमेल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले रिएक्शन का हिस्सा काफी बड़ा है. वक्फ संशोधन बिल पर टिप्पणियां दर्ज करने की समय सीमा बीती 15 सितंबर को खत्म हो चुकी है. अब संयुक्त संसदीय समिति का पैनल अलग-अलग राज्यों का दौरा करेगा. इसके साथ ही स्टेट वक्फ बोर्ड और राज्य अल्पसंख्यक आयोगों से मुलाकात करेगा.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक ईमेल प्रतिक्रियाओं के अलावा वक्फ संशोधन बिल पर 75,000 से ज्यादा लिखित सुझाव और आपत्तियां भी मिली हैं. संयुक्त संसदीय पैनल के सूत्रों के अनुसार, प्रतिक्रियाओं की अंतिम संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है. एआई द्वारा मिली प्रतिक्रियाओं का समिति के लिए तय काम पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें अलग-अलग किया जा सकता है. हालांकि, सभी प्रतिक्रियाएं पैनल के रिकॉर्ड का हिस्सा होंगी और उन्हें गोपनीय माना जाएगा.
मौजूदा सांसदों ने व्यक्तिगत सुनवाई के रखी मांग
ऐसे में कई राज्य बार काउंसिलों, विभिन्न वक्फ बोर्डों के किरायेदारों के संगठनों और मुतवल्लियों (वे व्यक्ति जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन के लिए जिम्मेदार होते हैं) के अलावा कई गैर-मुस्लिम संगठनों ने भी प्रतिक्रिया दी है. अब संयुक्त संसदीय पैनल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जैसी एजेंसियों, कई सरकारी विभागों, सड़क परिवहन और राजमार्ग, रेलवे, आवास और शहरी मामलों, और कानून और न्याय मंत्रालयों और कानूनी विशेषज्ञों के विचार भी मांगेगा. सूत्रों ने बताया कि कुछ मौजूदा सांसदों ने व्यक्तिगत सुनवाई के अवसर मांगे हैं.
इस बीच, सांसद जगदम्बिका पाल के नेतृत्व में पैनल 26 सितंबर से 1 अक्टूबर तक महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेगा.
'वक्फ बिल संशोधनों को रद्द करें'
संयुक्त संसदीय पैनल ने केरल वक्फ बोर्ड और राज्य सरकार से 1 अक्टूबर को बेंगलुरु में होने वाली बैठक में अपने विचार रखने को कहा है. हालांकि, राज्य सरकार और बोर्ड ने पहले भी पैनल से अलग-अलग संशोधनों को रद्द करने के लिए कहा था, जो उनके अनुसार धार्मिक समूहों के अपने धार्मिक मामलों के प्रबंधन के लिए संविधान द्वारा गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. इस दौरान केरल के वक्फ मंत्री वी. अब्दुरहीमान ने कहा कि राज्य एक बार फिर पैनल के सामने अपने विचार पेश करेगा.
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