नई दिल्ली: डोकलम विवाद में चीन को पटकनी देने के बाद भारत ने पहली बार अपने आप को ‘जिम्मेदार विश्वशक्ति’ करार दिया है. भारत ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो भारत की सेनाएं दूसरे देश की मदद के लिए भी जा सकती हैं. इसलिए भारत की तीनों सेनाओं को किसी भी चुनौती से निपटने के लिए साझा रणनीति पर काम करने की जरुरत है.
जरूरत पड़ी तो दूसरे देशों की मदद के लिए तैयार’
भारत की तीनों सेनाओं की ताजा ‘ज्वाइंट ट्रेनिंग डॉक्ट्रिन’ में साफ तौर से कहा गया है कि भारत को अपनी अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी निभानी है, जिसके तहत सेनाओं को राजनीतिक आदेश और दिशा-निर्देश दिए गए हैं. जिसके मुताबिक, अगर जरूरत पड़ी तो भारत को अपने समुद्री छोर से बहुत दूर किसी देश की मदद करने जाना पड़ सकता है.”
एबीपी न्यूज के पास है ज्वाइंट ट्रैनिंग डॉक्ट्रिन की कॉपी
एबीपी न्यूज के पास भारतीय सेना की इस ज्वाइंट ट्रैनिंग डॉक्ट्रिन की कॉपी भी है. गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में डोकलम विवाद के दौरान जिस तरह से अपने पड़ोसी (और छोटे देश) भूटान की मदद की और चीन की विस्तारवादी नीति पर रोक लगाई थी, उसके बीच में ये डॉक्ट्रिन काफी अहम हो जाती है.
साझा युद्ध के लिए तैयार रहें तीनों सेनाएं- ज्वाइंट ट्रैनिंग डॉक्ट्रिन
भारत ने पहली बार ‘ज्वाइंट ट्रैनिंग डॉक्ट्रिन’ जारी करते हुए तीनों सेनाओं को साझा युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए कहा है. इस ज्वाइंट डॉक्ट्रिन यानि साझा सिद्धांत में भविष्य में परमाणु युद्ध, स्पेस-वॉर, समंदर में लड़ाई और साइबर-वॉर में थलसेना, वायुसेना और नौसेना कैसे मिलकर दुश्मन का सामना करेंगी, उसका भी खुलासा किया गया है.
मंगलवार को रिलीज हुई थी डॉक्ट्रिन
मंगलवार को चैयरमेन, चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी, एडमिरल सुनील लांबा ने (जो नौसेना प्रमुख भी हैं) थलसेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत, वायुसेना प्रमुख, एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ और आईडीएस चीफ, लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ की मौजदूगी में इस डॉक्ट्रिन को रिलीज किया था.
नई डॉक्ट्रिन में कहा गया है, “भारत की सुरक्षा को क्षेत्रीय अस्थिरता, कट्टरवाद और उग्रवाद, उर्जा संसाधनों को आर्थिक सहायता के लिए सुरक्षित रखने के लिए तीव्र प्रतिस्पर्धा से लगातार खतरा बना रहेगा.” इसलिए भारत की “राष्ट्रीय ताकत को मिलकर उपयोग में लाना है.”
ट्रंप ने भारत और अमेरिका को ताकतवर फौज रखने पर दिया था जोर
यहां ये बात भी दीगर है कि हाल ही में एशियान देशों के शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान‘ दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों को ताकतवर फौज’रखने पर जोर दिया था.
नई डॉक्ट्रिन में आगे कहा गया है कि वैश्विकरण के चलते नई शक्तियों के उदय, जनसंख्या परिवर्तन, प्राकृतिक संसधानों के वर्चस्व, एसिमट्रिक-वॉरफेयर (यानि आंतकवाद इत्यादि) के चलते वैश्विक असुरक्षा का माहौल कायम रहेगा. महाभारत काव्य में अर्जुन की पंक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा गया कि है कि “21वीं सदी में ऐसी चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों की ट्रैनिंग उच्च दर्जे की होनी चाहिए.”
एक ‘त्रिशुल’ की तरह काम करेंगी तीनों सेनाएं
ऐसे में सुरक्षा के नए आयाम जिनमें परमाणु, गैर-पांरपरिक, साइबर, आकाश, अंतरिक्ष, महासागर, वैश्विक संचार नेटवर्क आदि को समझने के लिए सैन्य अधिकारियों को एक सामान समझ की बेहद आवश्यकता है. इसीलिए सेनाओं के तीनों अंग यानि थलसेना, वायुसेना और नौसेना को एक ‘त्रिशुल’ की भांति काम करना होगा. इसके लिए बेहद जरूरी है कि तीनों सेनाएं एक साथ साझा प्रशिक्षण प्राप्त करें ताकि एकीकृत ऑपरेशन्स संभव हो सकें.
रशिया के साथ भारत ने की थी सबसे बड़ी साझा मिलेट्री एक्सरसाइज
हाल ही में भारत ने रशिया के साथ सबसे बड़ी साझा मिलेट्री एक्सरसाइज, इंद्रा की थी. ये पहली बार था कि भारत की तीनों सेनाओं ने रशिया की सेनाओं की तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के साथ मिलकर साझा युद्धभ्यास किया था. उसके बाद ही ये साझा प्रशिक्षण सिद्धांत जारी किया गया है. ज्वाइंट डॉक्ट्रिन में मित्र देशों के साथ इस तरह के साझा युद्धभ्यासों को‘मिलेट्री डिप्लोमेसी’ का हिस्सा बताया गया है.
भारत में इतनी बड़ी एक्सरसाइज तीनों सेनाएं अभी भी मिलकर नहीं करती हैं. इसीलिए इस तरह के साझा युद्धभ्यासों पर जोर दिया गया है.
पीएम मोदी ने दिया था तीनों सेनाओं के एकीकरण पर जोर
आपको यहां ये बात दें कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कार्यकाल के पहले साझा कमांडर्स कांफ्रेंस (कम्बाइंड कमांडर्स कांफ्रेस-2014) में तीनों सेनाओं के एकीकरण पर जोर दिया था. अमेरिका, चीन और दूसरी महाशक्तियों ने अपनी सेनाओं का एकीकरण कर दिया है और कमांड प्रणाली की बजाए थियेटर-प्रणाली लागू कर दिया है, लेकिन भारत में अभी तक इसपर कोई खास जोर नहीं दिया गया था.
माना जा रहा है कि पहली बार भारत में जो नई स्पेस और साइबर एजेंसियां बनने जा रही हैं, उनमें तीनों सेनाएं की भागीदारी होगी. साथ ही स्पेशल फोर्सेंज़ की जो नई डिवीजन बनाई जा रही है उसमें थलसेना के पैरा-एसएफ, वायुसेना के गरूण और नौसेना के मेरिन कमांडो शामिल होंगे.
सेना की ज्वाइंट ट्रेनिंग डॉक्ट्रिन रिलीज: न्युक्लिर, स्पेस और साईबर वॉर से निपटने पर जोर
ABP News Bureau
Updated at:
16 Nov 2017 07:09 PM (IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के दौरान‘ दुनिया के दो बड़े लोकतांत्रिक देशों को ताकतवर फौज’रखने पर जोर दिया था.
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